SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 116
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ स्थान २ उद्देशक ३ सुवर्णकूल प्रपात द्रह, रुप्पकूलप्पवायहहे - रुप्यकूल प्रपात द्रह, रत्तप्पवायहहे - रक्ता प्रपात द्रह, रत्तावइप्पवायहहे - रक्तवती प्रपात द्रह। भावार्थ - जम्बूद्वीप के मेरु पर्वत के उत्तर और दक्षिण में चुल्लहिमवान् और शिखरी वर्षधर पर्वतों पर दो महाद्रह कहे गये हैं ये दोनों लम्बाई, चौड़ाई, उद्वेष, संस्थान और परिधि से समान हैं। इनमें कुछ भी भिन्नता नहीं है और परस्पर एक दूसरे का अतिक्रमण नहीं करते हैं वे ये हैं पद्मद्रह और पुण्डरीकद्रह। यहां पर उन द्रहों में श्री और लक्ष्मी ये दो देवियाँ रहती हैं, वे महान् ऋद्धि वाली यावत् एक पल्योपम की स्थिति वाली हैं। इसी तरह महाहिमवान् और रुक्मी वर्षधर पर्वतों पर क्रमशः महापद्मद्रह और महापुण्डरीकद्रह ये दो महाद्रह कहे गये हैं यावत् ये दोनों समान हैं। इन दोनों द्रहों में क्रमशः ह्री और बुद्धि ये दो देवियाँ रहती है। इसी प्रकार निषध और नीलवान् वर्षधर पर्वतों पर क्रमशः तिगिंच्छि द्रह और केसरी द्रह हैं। इनमें धृति और कीर्ति ये दो देवियाँ रहती हैं। जम्बूद्वीप के मेरु पर्वत के दक्षिण में महाहिमवान् वर्षधर पर्वत के महापद्म द्रह से रोहिता और हरिकान्ता ये दो महानदियाँ निकलती हैं। इसी तरह निषध नामक वर्षधर पर्वत के तिगिंच्छि द्रह से हरिता और सीतोदा ये दो महानदियाँ निकलती हैं। जम्बूद्वीप के मेरु पर्वत के उत्तर में नीलवान् वर्षधर पर्वत के केसरी द्रह से सीता और नारीकान्ता ये दो महानदियाँ निकलती हैं। इसी प्रकार रुक्मी नामक वर्षधर पर्वत के महापुण्डरीक द्रह से नरकान्ता और रूप्यकूला ये दो महानदियाँ निकलती हैं। जम्बूद्वीप के मेरु पर्वत के दक्षिण में भरत क्षेत्र में गंगा प्रपात द्रह और सिन्धुप्रपातद्रह ये दो प्रपातद्रह कहे गये हैं। ये दोनों समान हैं। इसी प्रकार हिमवत क्षेत्र में रोहित प्रपात द्रह और रोहितांस प्रपात द्रह ये दो प्रपात द्रह कहे गये हैं। ये दोनों समान हैं। जम्बूद्वीप के मेरु पर्वत के · दक्षिण में हरिवर्ष क्षेत्र में हरितप्रपात द्रह और हरिकान्तप्रपात द्रह ये दो प्रपात द्रह कहे गये हैं। ये दोनों समान हैं। जम्बूद्वीप के मेरु पर्वत के उत्तर और दक्षिण दिशा में महाविदेह क्षेत्र में सीताप्रपात द्रह और सीतोदाप्रपात द्रह ये दो प्रपातद्रह कहे गये हैं। ये दोनों समान हैं। जम्बूद्वीप के मेरु पर्वत के उत्तर में रम्यक वर्ष क्षेत्र में नरकान्त प्रपात द्रह और नारीकान्त प्रपात द्रह ये दो प्रपात द्रह कहे गये हैं ये दोनों समान हैं। इसी प्रकार ऐरण्यवत् क्षेत्र में सुवर्णकूल प्रपात द्रह और रुप्यकूलप्रपात द्रह ये दो प्रपात द्रह कहे गये हैं ये दोनों समान हैं। जम्बूद्वीप के मेरु पर्वत के उत्तर में ऐरवत क्षेत्र में रक्ताप्रपात द्रह और रक्तवती प्रपात द्रह ये दो प्रपात द्रह कहे गये हैं। ये दोनों समान हैं। जम्बूद्वीप के मेरु पर्वत के दक्षिण में भरत क्षेत्र में गङ्गा और सिन्धु ये दो महानदियाँ कही गई हैं। ये दोनों समान हैं। इस प्रकार जैसे प्रपातद्रहों का कथन किया गया है उसी प्रकार नदियों का कथन करना चाहिए अर्थात् उन सब प्रपात द्रहों में से उसी नाम की नदियाँ निकलती हैं यावत् ऐरवत क्षेत्र में रक्ता और रक्तवती ये दो महानदियाँ कही गई हैं। ये दोनों समान हैं। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004186
Book TitleSthananga Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages474
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy