________________
अध्ययन १ उद्देशक ७ •••••••••••••••••••rrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrror
प्रथम अध्ययन का सातवां उद्देशक ... से भिक्खू वा भिक्खुणी वा से जं पुण जाणिज्जा असणं वा, पाणं वा, खाइमं वा, साइमं वा, खंधंसि वा थंभंसि वा मंचंसि वा मालंसि वा पासायंसि वा हम्मियतलंसि वा अण्णयरंसि वा तहप्पगारंसि अंतलिक्खजायंसि उवणिक्खित्त सिया तहप्पगारं मालोहडं असणं वा, पाणं वा, खाइमं वा, साइमं वा, अफासुयं जाव णो पडिगाहिज्जा, केवली बूया-आयाणमेयं ।
असंजए भिक्खुपड़ियाए पीढं वा फलगं वा णिस्सेणिं वा उदूहलं वा आहट्ट उस्सविय दुरुहिज्जा, से तत्थ दुरुहमाणे पयलिज्ज वा पवडिज वा से तत्थ पयलमाणे वा पवडेमाणे वा हत्थं वा पायं वा बाहुं वा उरुं वा उदरं वा सीसं वा अण्णयरं वा कार्यसि इंदियजालं लूसिज्ज वा पाणाणि वा जाव सत्ताणि वा अभिहणिज वा वत्तिज्ज वा लेसिज्ज वा संघसिज्ज वा संघट्टिज वा परियाविज्ज वा किलामिज वा ठाणाओ ठाणं संकामिज वा तं तहप्पगारं मालोहडं असणं वा, पाणं वा, खाइमं वा, साइमं वा, लाभे संते णो पडिगाहिज्जा॥३७॥ ___ कठिन शब्दार्थ - खंधसि - दीवार पर, थंभंसि - स्तंभ-खंभे पर, मंचंसि- मचान पर, मालंसि - माले पर, पासायंसि - महल पर रखा हुआ, हम्मियतलंसि - हवेली की छत पर, अंतलिक्खजायंसि - अंतरिक्षजात में ऐसा ऊँचा स्थान जहाँ पर सीढ़ी आदि लगाकर चढ़ा या उतरा जाता हो, मालोहडं - ऊंचे स्थानों से उतार कर दिये जाने वाला, उवणिक्खित्तं - रखा हुआ, पीढं - पीठ चौकी बाजौट आदि को, फलगं - पटिया आदि, णिस्सेणिं - निसरणी को, उदूहलं - ऊखल को, उस्सविय - ऊंचा करके, दुरुहिज्जा - चढे, पयलिज - फिसल जाय, पवडिज- गिर पडे, हत्यं - हाथ, पायं - पैर, बाहुं - भुजा, उरुं - साथल-जांघ, उदरं - पेट, सीसं - सिर, अण्णयरंसि वा कायंसि - अथवा शरीर के किसी अन्य इंदिय जालं - इन्द्रिय विशेष को, लूसिज - चोट पहुँचे या टूट जाय, अभिहणिज - हनन हो, वत्तिज - त्रास दे, लेसिज्ज - संश्लिष्ट करे, संघसिज्ज - संघर्षित करे, संघट्टिज - संघट्टा करे, परियाविज - परितापना दे, किलामिज - कष्ट पहुंचावें।
भावार्थ - गृहस्थ के घर भिक्षार्थ गये हुए साधु या साध्वी को ऐसा मालूम हो कि
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org