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________________ प्रथम अध्ययन - द्वितीय उद्देशक - पृथ्वीकायिक आदि जीवों को वेदना का अनुभव १७ 888888888888888RRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRR अप्पेगे खंधमन्भे, अप्पेगे खंधमच्छे, अप्पेगे बाहुमन्भे, अप्पेगे बाहुमच्छे, अप्पेगे हत्थमन्भे, अप्पेगे हत्थमच्छे, अप्पेगे अंगुलिमन्भे, अप्पेगे अंगुलिमच्छे, अप्पेगे णहमन्मे अप्पेगे णहमच्छे, अप्पेगे गीवमन्भे, अप्पेगे गीवमच्छे, अप्पेगे हणुमन्भे, अप्पेगे हणुमच्छे, अप्पेगे हो?मन्भे, अप्पेगे हो?मच्छे, अप्पेगे दंतमन्भे, अप्पेगे दंतमच्छे, अप्पेगे जिन्भमन्भे, अप्पेगे जिन्भमच्छे, अप्पेगे तालुमन्भे, अप्पेगे तालुमच्छे, अप्पेगे गलमन्भे, अप्पेगे गलमच्छे, अप्पेगे गंडमन्भे, अप्पेगे गंडमच्छे, अप्पेगे कण्णमब्भे, अप्पेगे कण्णमच्छे, अप्पेगे णासमन्भे, अप्पेगे णासमच्छे, अप्पेगे अच्छिमन्भे, अप्पेगे अच्छिमच्छे, अप्पेगें भमुहमन्भे, अप्पेगे भमुहमच्छे, अप्पेगे णिडालमन्भे, अप्पेगे णिडालमच्छे, अप्पेगे सीसमन्भे, अप्पेगे सीसमच्छे, अप्पेगे संपमारए, अप्पेगे उद्दवए। कठिन शब्दार्थ - से बेमि - हे शिष्यो! मैं बतलाता हूं, अप्पेगे - अप्येकः-कोई, अंधमन्भे - जन्मांध (मूक, बधिर, पंगु पुरुष) को भेदन करे, अंधमच्छे - जन्मान्ध पुरुष को छेदन करे, पायमन्भे - पैरों का भेदन करे, पायमच्छे - पैरों का छेदन करे, गुप्फमन्मे - गुल्फों (टखनों) का भेदन करे, गुप्फमच्छे - गुल्फों का छेदन करे, जंघमन्भे - जंघा (पिंडली) का भेदन करे, जंघमच्छे - जंघा का छेदन करे, जाणुमब्भे - घुटनों का भेदन करे, जाणुमच्छेघुटनों का छेदन करे, उरुमन्भे-उरुमच्छे - उरु का भेदन करे-छेदन करे, कडिमब्भे-कडिमच्छेकटिभाग (कमर) का भेदन करे-छेदन करे, णाभिमन्भे णाभिमच्छे - नाभि का भेदन करे, छेदन करे, उयरमब्भे उयरमच्छे - उदर (पेट) का भेदन करे, छेदन करे, पासमब्भे पासमच्छेपार्श्वभाग (पसवाड़े) का भेदन करे, छेदन करे, पिट्ठमब्भे पिट्ठमच्छे - पीठ का भेदन करे, छेदन करे, उरमब्भे उरमच्छे - छाती का भेदन-छेदन करे, हिययमन्भे हिययमच्छे - हृदय का भेदन-छेदन करे, थणमब्भे थणमच्छे - स्तनों का भेदन करे-छेदन करे, खंधमन्भे-खंधमच्छेस्कंध (कंधे) का भेदन-छेदन करे, बाहुमब्भे-बाहुमच्छे - बाहु-भुजा का भेदन-छेदन करे, हत्थमन्भे-हत्थमच्छे - हाथ का भेदन करे, हाथ का छेदन करे, अंगुलिमब्भे-अंगुलिमच्छे - अंगुली का भेदन-छेदन करे, णहमन्मे-णहमच्छे - नखों का भेदन-छेदन करे, गीवमन्भेगीवमच्छे - ग्रीवा (गर्दन का आगे का भाग) का भेदन-छेदन करे, हणुमब्भे-हणुमच्छे - दाढी Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004184
Book TitleAcharang Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages366
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size7 MB
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