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[19] BE@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@RRRRRRRRRRRRR@@@@@@@@@@@@ क्रं. विषय पृष्ठ | क्रं. विषय
पृष्ठ ३१. एक काय की हिंसा करने वाला
पांचवां उद्देशक __छह काय हिंसा का भागी ५८ | ५१. कर्म समारंभ का कारण
६१ ३२. छह काय जीव हिंसा निषेध ६० | ५२. अनगार के तीन विशेषण लोक विजय नामक दूसरा | ५३. निर्दोष आहार ग्रहण
अध्ययन ६१-११७ | ५४. आहारादि की मात्रा . . प्रथम उद्देशक
५५. ममत्व-परिहार - ३३. संसार का मूल - विषयासक्ति
५६. काम-विरति ३४. जीवन की अशरणता
५७. लोक-दर्शन
१०० ३५. प्रमाद-परिहार
५८. सच्चा वीर कौन?
१००. द्वितीय उद्देशक
५६. देह की अशुचिता ३६.. अरति-त्याग
६०. हिंसा जन्य काम-चिकित्सा १०४ ३७. लोभ-परित्याग
छठा उद्देशक ३८. अर्थ लोभी की वृत्ति
| ६१. एक काय के आरंभ से ३९. हिंसा के विविध प्रयोजन
छहों कायों का आरंभ ४०. हिंसा-त्याग
| ६२. ममत्व-बुद्धि त्याग - -->१०७ - ४१. आर्य मार्ग . ..
६३. रति-अरति त्याग
१०८ तृतीय उद्देशक
६४. आज्ञा का अनाराधक ४२. गोत्रवाद का त्याग
६५. आज्ञा का आराधक ४३, प्रमादजन्य दोष
६६. कर्म, दुःख का कारण
१११ ४४. परिग्रहजन्य दोष
६७. अनन्यदर्शी और अनन्याराम ४५. अहिंसा का प्रतिपादन
६८. उपदेष्टा कैसा हो?
११३ ४६. धन अस्थिर और नाशवान् है
६६. धर्मोपदेश की विधि
११३ चौथा उद्देशक
७०. अज्ञानी की दुःख परंपरा ११७ ४७. विषयासक्त प्राणी की दुर्दशा
शीतोष्णीय नामक तीसरा . ४८. भोगेच्छा, दुःख का कारण
अध्ययन ११८-१५० ४६. अहिंसा का उपदेश
| प्रथम उद्देशक ५०. भिक्षाचरी में समभाव ६० | ७१. सुप्त और जागृत
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