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________________ [10] 事來事奉參串串串串串串串串串串串串串串串串串串串串串串串串串串串串串串串串串串 बतलाया है क्योंकि अग्निकाय के आरम्भ में छह ही काय की हिंसा होना बतलाया है। इसके आरम्भ करने के क्या कारण हैं? इसके आरंभ करने वाले को इसका फल क्या भोगना पड़ता है? वह पृथ्वीकाय के समान समझना चाहिये। पांचवां उद्देशक - इस उद्देशक में वनस्पतिकायिक जीवों का वर्णन है। इसमें वनस्पतिकाय जीवों की हिंसा के कारण और इससे होने वाले कटु फल आदि सभी का वर्णन है उक्त वर्णन अन्य स्थावरकाय के समान समझना चाहिये, विशेषता इतनी है कि वनस्पतिकायिक जीवों की तुलना मनुष्य से की है। उसके जन्म, बढ़ने, चेतना, आहार, आहार के अभाव में शरीर क्षीण दुर्बल होने आदि बताकर मानव जीवन के साथ घनिष्ट सम्बन्ध बतलाया गया है। छठा उद्देशक - इस उद्देशक में आठ प्रकार के त्रस प्राणी बता कर उनकी हिंसा न करने का प्रभु ने उपदेश दिया है। आठ प्रकार के जीवों में अंडों से उत्पन्न होने वाले, पोतज़ अर्थात् चर्ममय थैली से उत्पन्न होने वाले, जरायुज - जरायु के साथ उत्पन्न होने वाले, रसज - विकृत रस में उत्पन्न होने वाले, संसेइमा - पसीने से उत्पन्न होने वाले, समुच्छिमा - बिना माता पिता के संयोग से उत्पन्न होने वाले, उब्भियया - जमीन फोड़ कर उत्पन्न होने वाले, उववाइया-उपपात - शय्या अथवा नारकी में उत्पन्न होने वाले। प्रभु ने अपने हिताहित का विचार न करने वाले व्यक्ति को मंद अज्ञानी कहा है जो जीवहिंसादि करके बार-बार संसार में जन्म-मरण करता रहता है। सातवां उद्देशक - इस उद्देशक में वायुकायिक जीवों की हिंसा करने का निषेध किया गया। कई व्यक्ति वायुकाय को सचित्त नहीं मानते हैं। किन्तु प्रभु ने अपने केवल ज्ञान में जानकर वायुकाय सचित्त बताई है। इसकी हिंसा करने वाले को अन्य पांच काय की हिंसा के समान अहितकर एवं अबोधि का कारण बतलाया है। इस प्रकार इस सम्पूर्ण अध्ययन में षट् जीवनिकाय का स्वरूप बताया है अतः उनका समारंभ स्वयं न करे, न करावें एवं न ही करने वाले की अनुमोदना भी करे। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004184
Book TitleAcharang Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages366
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size7 MB
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