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________________ स्कन्ध के पर्याय सूचक शब्द गाथा - गण, काय, निकाय, स्कन्ध, वर्ग, राशि, पुंज, पिण्ड, निकर, संघात, आकुल और समूह। - विवेचन - इस सूत्र की अन्तर्वर्ती गाथा में जो भाव स्कन्ध के एकार्थक नाम आए हैं, वे यद्यपि स्वर, व्यंजन आदि की दृष्टि से भिन्न-भिन्न हैं, उनके शाब्दिक अवयव असमान हैं किन्तु अर्थ की दृष्टि से वे समान हैं, पर्यायवाची हैं। पर्यायवाचिता होने पर भी अपेक्षा विशेष के आधार पर उनकी व्याख्या भिन्न-भिन्न प्रकार से की जा सकती है - _____ 1. गण - गण शब्द बुद्ध और महावीर कालीन भारत के लिच्छवी, वज्जि, मल्ल इत्यादि अनेक गणराज्य के सूचक हैं। विश्व में आज परिव्याप्त प्रजातांत्रिक प्रणाली के ये प्राचीनतम उदाहरण हैं, जहाँ जनमत के आधार पर सांसदों और गणाध्यक्षों का निर्वाचन होता था। . _ इन गणराज्यों का समूह होता था, जो परस्पर समन्वयपूर्वक कार्यशील होते थे। उन गणराज्यों की तरह स्कन्ध अनेक परमाणुओं का समन्वित रूप है। अतः इसकी समन्वय या सादृश्य के नाते गण संज्ञा है। २. काय - पृथ्वीकाय, अपकाय, तेजस्काय एवं वायुकाय, वनस्पतिकाय आदि की तरह ‘परमाणु प्रचयात्मक रूप होने से इसकी काय संज्ञा है। ३. निकाय - छह जीव निकाय की तरह स्कन्ध भी निकाय रूप हैं। ४. स्कन्ध - द्विप्रदेशी, त्रिप्रदेशी, चतुःप्रदेशी आदि विविध रूपों के संश्लिष्ट परिणाम रूप होने से उनकी स्कन्ध संज्ञा है। ५. वर्ग - गो वर्ग आदि की तरह स्कन्ध वर्ग रूप हैं। ६. राशि - तण्डुल, गोधूम, मुद्ग (मूंग) आदि धान्यों की राशि सदृश होने से इनका राशि नाम हैं। ७. पुञ्ज - एकत्रित किए हुए धान्य आदि के पुंज के तुल्य होने से ये पुंज संज्ञक हैं। ८. पिण्ड - गुड़ आदि के पिण्डवत् होने से इनकी पिण्ड संज्ञा है। ६. निकर - चांदी आदि द्रव्यों के समूह की तरह होने से इसकी निकर संज्ञा है। १०. संघात - उत्सव, समारोह आदि में एकत्रित जन समूह की तरह होने से इनका नाम संघात है। - ११. आकुल - प्रांगण, परिसर आदि में इकट्ठे हुए लोगों के समुदाय की तरह होने से ये आकुल कहे गए हैं। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004183
Book TitleAnuyogdwar Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2005
Total Pages534
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_anuyogdwar
File Size9 MB
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