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५०
अनुयोगद्वार सूत्र
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अचित्त द्रव्य स्कन्ध से किं तं अचित्ते दव्वखंधे?
अचित्ते दव्वखंधे अणेगविहे पण्णत्ते। तंजहा - दुपएसिए, तिपएसिए जाव दसपएसिए, संखिज्जपएसिए, असंखिजपएसिए, अणंतपएसिए। सेत्तं अचित्ते दव्वखंधे।
शब्दार्थ - दुपएसिए - द्विप्रदेशिक - दो प्रदेश युक्त, तिपएसिए - त्रिप्रदेशिक, संखिजपएसिए - संख्यात प्रदेशिक।
भावार्थ - अचित्त द्रव्य स्कन्ध किस प्रकार का है?
अचित्त द्रव्य स्कन्ध अनेक प्रकार का बतलाया गया है, जैसे - द्विप्रदेशिक, त्रिप्रदेशिक या दस प्रदेशिक, संख्यात प्रदेशिक, असंख्यात प्रदेशिक तथा अनंत प्रदेशिक। यह अचित्त द्रव्य स्कन्ध का निरूपण है।
विवेचन - प्रदेश शब्द सूक्ष्मतम पुद्गल स्कन्ध का सूचक है। “परमाणु परिमितोभागः प्रदेशः" जितने स्थान पर परमाणु रहता है, पुद्गल का उतना भाग प्रदेश कहा जाता है। अतः जहाँ दो प्रदेश हो वह द्विप्रदेशिक तथा तीन प्रदेश हो वहाँ त्रिप्रदेशिक-इस प्रकार यह क्रम अनन्त प्रदेशी स्कन्ध तक व्याख्येय है।
(५०)
मिश्न द्रव्य स्कन्ध से किं तं मीसए दव्वखंधे?
मीसए दव्वखंधे अणेगविहे पण्णत्ते। तंजहा - सेणाए अग्गिमे खंधे, सेणाए मज्झिमे खंधे, सेणाए पच्छिमे खंधे। सेत्तं मीसए दव्वखंधे।
शब्दार्थ - मीसए दव्वखंधे - मिश्र द्रव्य स्कन्ध, सेणाए - सेना का, अग्गिमे - अग्रिम-आगे का, मज्झिमे - मध्य का, पच्छिमे - पीछे का।
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