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________________ ४८ - अनुयोगद्वार सूत्र (४७) द्रव्य स्कन्ध से किं तं दव्वखंधे? दव्वखंधे दुविहे पण्णत्ते। तंजहा - आगमओ य १ णोआगमओ य २। भावार्थ - द्रव्य स्कन्ध कैसा है? द्रव्य स्कन्ध दो तरह का है - १. आगम द्रव्य स्कन्ध तथा २. नोआगम द्रव्य स्कन्ध। से किं तं आगमओ दव्वखंधे? आगमओ दव्वखंधे - जस्स णं 'खंधे' ति पयं सिक्खियं जाव सेत्तं भवियसरीरदव्वखंधे णवरं खंधाभिलावो। भावार्थ - आगम द्रव्य स्कन्ध क्या स्वरूप है? जिसने स्कन्ध पद का गुरु से शिक्षण प्राप्त किया है यावत् वह भव्य शरीर द्रव्य स्कन्ध है। यहाँ स्कन्ध का अभिलाप - विवेचन है। ज्ञ शरीर-भव्य शरीर-व्यतिरिक्त द्रव्य स्कन्ध से किं तं जाणयसरीरभवियसरीरवइरित्ते दव्वखंधे? . जाणयसरीरभविय-सरीरवइरित्ते दव्वखंधे तिविहे पण्णत्ते। तंजहा - सचित्ते १ अचित्ते २ मीसए ३। भावार्थ - ज्ञ शरीर - भव्य शरीर - व्यतिरिक्त द्रव्य स्कन्ध किस प्रकार का है? ज्ञ शरीर - भव्य शरीर - व्यतिरिक्त द्रव्य स्कन्ध के १. सचित्त २. अचित्त और ३. मिश्र ये तीन भेद हैं। (४८) सचित्त द्रव्य स्कन्ध से किं तं सचित्ते दव्वखंधे? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004183
Book TitleAnuyogdwar Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2005
Total Pages534
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_anuyogdwar
File Size9 MB
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