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स्थापना श्रुत
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(३०)
नाम श्रुत से किं तं णामसुयं? णामसुयं-जस्स णं जीवस्स वा जाव 'सुए' त्ति णामं कजइ। सेत्तं णामसुयं। भावार्थ - नामश्रुत का स्वरूप कैसा है?
जिस किसी जीव का या अजीव का अथवा जीवों का या अजीवों का अथवा उन दोनों का 'श्रुत' ऐसा जो नाम रखा जाता है, उसे नाम श्रुत कहा जाता है।
(३१) .
स्थापना भुत .. से किं तं ठवणासुयं?
ठवणासुयं - जंणं कट्ठकम्मे वा जाव ठवणा ठविजइ। सेत्तं ठवणासुयं।
भावार्थ - स्थापना श्रुत का स्वरूप कैसा है? । ... काष्ठकर्म यावत् कौड़ी आदि में यह श्रुत है, ऐसी जो स्थापना की जाती है, उसे स्थापना श्रुत कहा जाता है। . ...
(३२).
णामठवणाणं को पइविसेसो? णामं आवकहियं, ठवणा इत्तरिया वा होजा, आवकहिया वा। शब्दार्थ - पइविसेसो - प्रतिविशेष-अंतर (पारस्परिक वैशिष्ट्य)। भावार्थ - नाम श्रुत और स्थापना श्रुत में क्या अंतर है?
नाम यावत्कथिक होता है तथा स्थापना यावत्कथिक और इत्वरिक - दोनों प्रकार की होती है।
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