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आवश्यक के एकार्थक शब्द
(२८) आवश्यक के एकार्थक शब्द तस्स णं इमे एगट्ठिया णाणाघोसा णाणावंजणा णामधेजा भवंति, तंजहागाहा-आवस्सयं अवस्सकरणिजं, धुवणिग्गहो विसोही य।
अज्झयणछक्कवग्गो, णाओ आराहणा मग्गो॥१॥ समणेणं सावएण य, अवस्स कायव्वयं हवइ जम्हा।
अंतो अहोणिसस्स य, तम्हा 'आवस्सयं' णाम॥२॥सेत्तं आवस्सयं। शब्दार्थ - एगट्ठिया - एकार्थक, णाणाघोसा - भिन्न-भिन्न उच्चारण ध्वनि युक्त, वंजणा - व्यंजन, णामधेज्जा - नामधेय-संज्ञाएँ, अवस्सकरणिज्जं - अवश्यकरणीय, धुवणिगहो - ध्रुवनिग्रह, छक्कवग्गो - षट्कवर्ग, कायव्वयं - कर्त्तव्य, हवइ - होता है, जम्हा - जिससे, अहोणिसस्स - दिन और रात के, अंतो - अंत में, तम्हा - उस कारण। ... भावार्थ - उस आवश्यक के भिन्न-भिन्न उच्चारण ध्वनि एवं व्यंजन आदि युक्त आठ पर्यायवाची शब्द इस प्रकार हैं -
१. आवश्यक २. अवश्यकरणीय ३. ध्रुवनिग्रह ४. विशोधि ५. अध्ययनषट्कवर्ग ६. न्याय ७. आराधना और ८. मार्ग।
साधु तथा साध्वी द्वारा दिन और रात्रि के अन्त में अवश्य रूप में करने योग्य होने के कारण यह आवश्यक संज्ञा से अभिहित हुआ है।
विवेचन - आवश्यक के ये आठ नाम उसके गुणगत वैशिष्ट्य के द्योतक हैं।
१. आवश्यक - आवश्यक शब्द 'आ' उपसर्ग और 'वश्य' के योग से बना है। 'आ' समन्तात या परिपूर्णता का द्योतक है। "वशितुं योग्यं वश्यम्' - के अनुसार जो वश में करने योग्य होते हैं, उन्हें वश्य कहा जाता है। "ज्ञानादि गुणसमयवाय मोक्षो वा वश्या भवति येन तदावश्यकम्" - जिसके द्वारा ज्ञानादि गुण या मोक्ष वशगत-अधिगत किया जाता है, वह आवश्यक है।
१. अवश्यकरणीय - ‘अवश्य' शब्द अनिवार्यता के अर्थ का सूचक है। अवश्यस्येदमावश्यकम् (अवश्यस्य + इदं + आवश्यकम्) - जो अवश्य से संबद्ध है, जिसे अवश्य किया जाना चाहिए, वह 'अवस्सकरणिज्ज' - अवश्यकरणीय है।
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