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ज्ञ - शरीर - भव्य - शरीर - व्यतिरिक्त द्रव्यावश्यक लौकिक, कुप्रावचनिक एवं लोकोत्तरिक के रूप में तीन प्रकार का है।
(१)
से किं तं लोइयं दव्वावस्सयं ?
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लोइयं दव्वावस्सयं जे इमे राईसर - तलवर - माडंबिय - कोडुंबिय - इब्भसेट्ठि-सेणावइ-सत्थवाहपभिइओ कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए सुविमलाए फुल्लुप्पल-कमलकोमलुम्मिलियम्मि अहापंडुरे पभाए रत्तासोगपगास - किंसुयसुयमुह - गुंजद्धराग - सरिसे कमलागरणलिणिसंडबोहए उट्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलंते मुहधोयणदंतपक्खालण-तेल्लफणिह - सिद्धत्थयहरियालिय- अद्दाग - धूव - पुप्फ-मल्ल-गंध- तंबोलवत्थाइयाइं दव्वावस्सयाई करेंति, तओ पच्छा रायकुलं वा देवकुलं वा आरामं वा उज्जाणं वा सभं वा पवं वा गच्छंति। सेत्तं लोइयं दव्वावस्सयं ।
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ज्ञ - शरीर भव्य शरीर-व्यतिरिक्त द्रव्यावश्यक
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शब्दार्थ - राईसर राजा एवं ऐश्वर्यशाली विशिष्ट पुरुष, तलवर राज सम्मानित विशिष्ट नागरिक, माडंबिय - जागीरदार या भूस्वामी, कोडुंबिय - कौटुम्बिक - बड़े परिवारों के प्रमुख, भ वैभवशाली जन, सेट्ठि - श्रेष्ठीजन, सेणावइ - सेनापति, सत्थवाह सार्थवाह, पभिइओ - प्रभृति, कल्लं - कल्य-प्रभातकाल, रयणीए - रात्रि के, पाउप्पभायाएप्रभा का प्रार्दुभाव हो जाने पर, सुविमलाए - समुज्ज्वल, फुल्लुप्पल - खिले हुए नीलकमल,
कमल मृग विशेष, उम्मिल्लियम्मि - उन्मीलित - विकसित होने पर, अह
अथ रात्रि
के चले जाने पर, पंडुरे श्वेत वर्ण युक्त, रत्त
लाल, असोग - अशोक वृक्ष, पगास
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सहस्रकिरणों से
प्रकाश, किंसुय - पलाश के पुष्प, सुयमुह - शुकमुख तोते की चोंच, गुंजद्धराग - गुंजार्धरागआधी घुंघची, कमलागर कमलयुक्त सरोवर, णलिणी - कमलिनी, संड - समूह, बोहएबोधक, उट्ठियम्मि — उत्थित होने पर, सूरे - सूर्य के, सहस्सरस्सिम्मि युक्त, दिणयरे - सूर्य, तेयसा तेजसे, जलं प्रज्वलित होने पर, मुंहधोयण - मुख धोना, दंतपक्खालण- दंत प्रक्षालन, तेल्ल - तेल मर्दन, फणिह - कंघे द्वारा केश प्रसाधन, सिद्धत्थय - श्वेत सरसों, हरियालिय - दूर्वा, दूब, अद्दाग
आदर्श-दर्पण,
धूव धूप,
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