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अनुयोगद्वार सूत्र
दृष्टिवाद श्रुत परिमाण संख्या ... से किं तं दिट्ठिवायसुयपरिमाणसंखा?
दिट्ठिवायसुयपरिमाणसंखा अणेगविहा पण्णत्ता। तंजहा - पजवसंखा जाव अणुओगदारसंखा, पाहुडसंखा, पाहुडियासंखा, पाहुडपाहुडियासंखा, वत्थुसंखा। सेत्तं दिट्ठिवायसुयपरिमाणसंखा। सेत्तं परिमाणसंखा।
शब्दार्थ - पाहुड - प्राभृत, वत्थु - वस्तु। भावार्थ - दृष्टिवादश्रुत परिमाण संख्या कितने प्रकार की कही गई है?
यह अनेक प्रकार की परिज्ञापित हुई है, यथा - पर्यव संख्या यावत् अनुयोगद्वार संख्या, प्राभृत संख्या, प्राभृतिका संख्या, प्राभृत-प्राभृतिका संख्या, वस्तु संख्या।
यह दृष्टिवाद श्रुत परिणाम संख्या का विवेचन है। इस प्रकार परिमाण संख्या का निरूपण पूर्ण होता है।
ज्ञान संख्या से किं तं जाणणासंखा?
जाणणासंखा - जो जं जाणइ, तंजहा - सदं सहिओ, गणियं गणिओ, णिमित्तं णेमित्तिओ, कालं कालणरणी, वेजयं वेजो। सेत्तं जाणणासंखा।
शब्दार्थ - जाणणा - ज्ञान, जं - जिसको, जाणइ - जानता है, सई - शब्द को, सद्दिओ - शाब्दिक, गणियं - गणित को, वेजयं - वैद्यक।
भावार्थ - ज्ञान संख्या का क्या स्वरूप है?
जो जिसका ज्ञान रखता है - जिसे जानता है, उसे ज्ञान संख्या कहते हैं। जैसे - शब्द को जानने वाला शाब्दिक, गणित को जानने वाला गणिक (गणितज्ञ), निमित्त को जानने वाला नैमित्तिक, काल को जानने वाला कालज्ञानी (कालज्ञ) और वैद्यक को जानने वाला वैद्य कहलाता है।
गणना संख्या से किं तं गणणासंखा?
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