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अनुयोगद्वार सूत्र
उत्पल, पद्मांग, पद्म, नलिनांग, नलिन, अच्छनिकुरांग, अच्छनिकुर, अयुतांग, अयुत, नयुतांग, नयुत, प्रयुतांग, प्रयुत, चूलिकांग, चूलिका, चौरासी लाख चूलिकाओं का एक शीर्ष-प्रहेलिकांग तथा चौरासी लाख शीर्षप्रहेलिकांगों की एक शीर्षप्रहेलिका - इस प्रकार से होते हैं। इतना ही गणित है, इतना ही गणित का विषय है। इसके आगे उपमाकाल की प्रवृत्ति है।
(१३९)
औपमिक काल से किं तं ओवमिए? ओवमिए दुविहे पण्णत्ते। तंजहा - पलिओवमे य १ सागरोवमे य २। शब्दार्थ - ओवमिए - औपमिक, पलिओवमे - पल्योपम। भावार्थ - औपमिक काल कितने प्रकार का है? वह दो प्रकार का बतलाया गया है - १. पल्योपम और २. सागरोपम।
विवेचन - औपमिक शब्द उपमा प्रसूत है। यह उपमान सूचक है। किसी पदार्थ विशेष का परिज्ञापन सादृश्यमूलक अन्य पदार्थ के साथ किया जाय तो परिज्ञाप्य को उपमेय कहा जाता है और परिज्ञापक को उपमान या उपमा कहा जाता है। साहित्यशास्त्र में इसका उपमा अलंकार, के रूप में विवेचन है। प्रस्तुत प्रकरण में काल उपमेय है, पल्य तथा सागर उपमान हैं। उनकी सदृशता के आधार पर उपमा के साथ जो वर्णन किया जाय, वह औपमिक काल प्रमाण है। पल्योपम शब्द में पल्य शब्द धान्य भरने के कुएँ का सूचक है। सागरोपम में सागर शब्द समुद्रवाचक है। पल्योपम और सागरोपम काल का विश्लेषण इन दोनों के सादृश्यमूलक आधार पर किया जाता है।
. एल्योपम से किं तं पलिओवमे? पलिओवमे तिविहे पण्णत्ते। तंजहा - उद्धारपलिओवमे १ अद्धापलिओवमे २ खेत्तपलिओवमे य ३।
भावार्थ - पल्योपम कितने प्रकार का है?
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