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________________ समयसमूह मूलक काल विभाजन . ३१७ अडडंगे, चउरासीई अडडंगसयसहस्साइं-से एगे अडडे, एवं अववंगे, अववे, हुहुयंगे, हुहुए, उप्पलंगे, उप्पले, पउमंगे, पउमे, णलिणंगे, णलिणे, अच्छणिउरंगे, अच्छणिउरे, अउयंगे, अउए, णउयंगे, णउए, पउयंगे, पउए, चूलियंगे, चूलिया, सीसपहेलियंगे, चउरासीइं सीसपहेलियंगसयसहस्साइं-सा एगा सीसपहेलिया। एयावया चेव गणिए, एयावया चेव गणियस्स विसए, एत्तो परं ओवमिए पवत्तइ॥ शब्दार्थ - ऊसासो - उच्छ्वास, णीसासो - निःश्वास, हट्ठस्स - हृष्ट-पुष्ट, अणवगल्लस्स - रोग रहित, णिरुवक्किट्ठस्स - दैहिक क्लेश रहित, जंतुणो - प्राणी का, पाणु - प्राण, थोवे - स्तोक, वियाहिए - कहा गया है, उऊ - ऋतु, वाससयं - शताब्दी, ओवमिए - उपमित। . भावार्थ - असंख्यात समयों के समुदय-समित के संयोग से एक आवलिका कही जाती है। संख्येय आवलिकाओं का एक उच्छ्वास होता है तथा संख्येय आवलिकाओं का एक निःश्वास होता है। . गाथाएँ - हृष्ट-पुष्ट, रोगांतकशून्य, दैहिक बाधा विमुक्त प्राणी का एक उच्छ्वासनिःश्वास प्राण कहा जाता है॥१॥ सात प्राणों का एक स्तोक होता है और सात स्तोकों का एक लव होता है। सतहत्तर (७७) लवों का एक मुहूर्त कहा गया है॥२॥ अनंत ज्ञान संपन्न सर्वज्ञों ने तीन सहस्र सात सो तिहत्तर उच्छ्वास-निःश्वास का एक मुहूर्त बतलाया है॥३॥ इस मुहूर्त प्रमाण से तीस मुहूर्तों का एक दिन-रात, पन्द्रह अहोरात्र का एक पक्ष, दो पक्षों का एक मास, दो मासों की एक ऋतु, तीन ऋतुओं का एक अयन, दो अयनों का एक संवत्सर, पाँच संवत्सरों का एक युग, बीस युगों की एक शताब्दी (वर्षशत), दस सौ वर्षों का एक सहस्र वर्ष, सौ सहस्र वर्षों का एक लक्ष वर्ष, चौरासी लक्षवर्षों का एक पूर्वांग, चौरासी लाख पूर्वांगों का एक पूर्व, चौरासी लाख पूर्वो का एक त्रुटितांग, चौरासी लाख त्रुटितांगों का एक त्रुटित, चौरासी लाख त्रुटितों का एक अडडांग, चौरासी लाख अडडांगों का एक अडड, चौरासी लाख अडिडों का एक अववांग, चौरासी लाख अववांगों का एक अवव, चौरासी लाख अववों का एक हूहूकांग, चौरासी लाख हूहूकांगों का एक हूहूक, आगे इसी क्रम से उत्पलांग, Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004183
Book TitleAnuyogdwar Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2005
Total Pages534
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_anuyogdwar
File Size9 MB
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