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व्यावहारिक उद्धारपल्योपम
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पल्योपम तीन प्रकार का बतलाया गया है - १. उद्धारपल्योपम २. अद्धापल्योपम एवं ३. क्षेत्रपल्योपम।
से किं तं उद्धारपलिओवमे? उद्धारपलिओवमे दुविहे पण्णत्ते। तंजहा - सुहमे १ वावहारिए य २। तत्थ णंजे से सुहमे से ठप्पे।
भावार्थ - उद्धार पल्योपम कितने प्रकार का है? उद्धार पल्योपम दो प्रकार का निरूपित हुआ है - १. सूक्ष्म एवं २. व्यावहारिक। इनमें जो सूक्ष्म पल्योपम है, वह स्थाप्य है।
व्यावहारिक उद्धारपल्योपम तत्थ णं जे से वावहारिए-से जहाणामए पल्ले सिया-जोयणं आयामविक्खंभेणं, जोयणं उव्वेहेणं तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं, से णं पल्ले एगाहियबेयाहियतेयाहिय जाव उक्कोसेणं सत्तरत्तपरूढाणं संसट्टे संणित्तिए भरिए वालग्गकोडीणं ते णं वालग्गा णो अग्गी डहेजा, णो वाऊ हरेजा, णो कुहेज्जा, णो पलिविद्धंसिजा, णो पूइत्ताए हलमागच्छेज्जा, तओ णं समए समए एगमेगं वालग्गं अवहाय जावइएणं कालेणं से पल्ले खीणे णीरए णिल्लेवे णिट्ठिए भवइ से तं वावहारिए उद्धारपलिओवमे। गाहा - एएसिं पल्लाणं, कोडाकोडी हवेज दसगुणिया।
तं वावहारियस्ल उद्धार सागरोवमस्स, एगस्स भवे परिणामं॥१॥ शब्दार्थ - जहाणामए - यथानाम - नामानुरूप, सत्तरत्तपरूढाणं - सात अहोरात्र के उगे हुए, संसट्टे - दबा-दब कर (समृष्ट), संणिचिए - सन्निचित्त - भलीभांति निचित किए हुए, भरिए - भरे जायं, वालग्गकोडीणं - करोड़ों बालाग्र, अग्गी - अग्नि, डहेज्जा - जलाए, वाऊ - वायु, हरेजा - उड़ा सके, कुहेजा - सड़ा-गला सके, पलिविद्धंसिज्जा - विध्वंस कर सके, पूइत्ताए - सडान्ध आए, हव्वमागच्छेज्जा - शीघ्र आ सके, अवहाय - लेकर, जावइएणं - जितने काल में, खीणे - क्षीण - खाली, णीरए - नीरज - रज रहित, णिल्लेवे - निर्लेप, णिट्टिए - निष्ठित।
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