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सोता है,
शब्दार्थ णिरुत्तिए - निरुक्ति या व्युत्पत्ति, मह्यां - पृथ्वी पर शे
महिषः भैंसा, रौति - रोता है ( शब्द करता है), मुहुर्मुहु - बार-बार, लसति - ऊर्ध्वअधः ( उपर-नीचे) जाने की प्रवृत्ति करता है, लम्बते - लटकता है, त्थेति - स्थित रहता है, कपित्थ - कवीठ ( कैथ का फल), चिदिति करोति - चिद् ऐसी आवाज करता है, चिक्खलंकर्दम-कीचड़, ऊर्ध्वकर्णः - ऊँचे कान वाला, उलूक - उल्लू, मेखस्य मेखों की, मेखला - करधनी ।
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प्रमाण-भेद
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भावार्थ - निरुक्ति नाम का क्या स्वरूप है ?
निरुक्ति नाम इस प्रकार के होते हैं - जो मही पर सोता है, वह महिष, जो घूमता है, शब्द करता है, वह भ्रमर, जो बार-बार उपर-नीचे आता-जाता है, वह मूसल जो बंदर की तरह लटकता है और स्थिर हो जाता है, वह कपित्थ, चिद् ऐसी ध्वनि करता है और चिपक जाता है, वह चिक्खल, जिसके कान ऊपर उठे हुए होते हैं, वह उलूक, मेखों की माला मेखला यह निरुक्ति जनित नाम का स्वरूप है।
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यह भाव प्रमाण का निरूपण है। प्रमाण नाम का यह विवेचन है। इस प्रकार दस नाम का वर्णन परिसमाप्त होता है। यह नाम विषयक विवेचन का पर्यवसान है।
विबेचन क्रिया, कारक, भेद और पर्यायवाची शब्दों द्वारा शब्दार्थ के कथन करने को निरुक्ति कहते हैं। इस निरुक्ति से निष्पन्न नाम निरुक्तिजनाम कहलाता है। उदाहरण के रूप में प्रस्तुत महिष. आदि नाम पृषोदरादिगण से सिद्ध हैं।
।। इस प्रकार नाम पद सम्पूर्ण हुआ ।
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(१३२)
प्रमाण-भेद
२६३
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से किं तं पमाणे ?
पमाणे चउव्विहे पण्णत्ते । तंजहा - दव्वप्पमाणे १ खेत्तप्पमाणे २ कालप्पमाणे३
भावप्पमाणे ४ ।
भावार्थ
प्रमाण कितने प्रकार का होता है ?
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