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________________ दस नाम - समीप नाम २५६ शब्दार्थ - रण्णो - राजा का, ससुरए - श्वसुर, जामाउए - जामाता (जॅवाई), सालेसाला, भाउए - भ्रातृक - भाई, भगिणीवई - भगिनीपति - बहनोई। . भावार्थ - संयोग निष्पन्न नाम का क्या स्वरूप है? राजा का श्वसुर, राजा का साला, राजा का जामाता, राजा का भ्राता तथा राजा का बहनोई - इनसे संयोगज नाम निष्पन्न होते हैं। विवेचन - इस सूत्र में संयोग या संबंध के संदर्भ में जो तद्धित प्रत्यान्त शब्द बनते हैं, उनका विग्रह दिया गया है। बनने वाले शब्दों का उल्लेख नहीं हुआ है। इन विग्रहों से बनने वाले शब्द राजकीय श्वसुर, राजकीय साला, राजकीय जामाता, राजकीय भ्राता तथा राजकीय भगिनीपति होते हैं। यहाँ 'रण्णो - राज्ञः या राजा का' के स्थान पर राजकीय पद आया है जो तद्धित प्रत्यान्त है, जो तद्धित प्रत्यय प्रसूत - 'क' तथा 'ई' के बनने से निष्पन्न हुआ है। ५. समीप नाम से किं तं समीवणामे? - समीवणामे - गिरिसमीवे णयरं - गिरिणयरं, विदिसासमीवे णयरं - वेदिसं णयरं, वेण्णाए समीवे णयरं - वेण्णायडं, तगराए समीवे णयरं - तगरायडं। सेत्तं समीवणामे। शब्दार्थ - समीवणामे - समीपनाम, गिरिसमीवे - पर्वत के समीप, विदिसासमीवे - विदिशा के समीपं, वेण्णाए - वेत्रा (वेना) के, तगराए - तगरा के, णयरं - नगर। - भावार्थ - समीप नाम किसे कहा जाता है? . पर्वत का समीपवर्ती नगर - गिरि नगर, विदिशा के समीप का नगर वैदिश, वेत्रा का निकटवर्ती नगर - वैत्र, तगरा के पास का नगर - तागर - ये तद्धित जनित समीप नाम हैं, समीप नाम के उदाहरण हैं। यह समीपनाम का स्वरूप है। * वेण्णाए - वेन्ना (वेत्रा) नदी के समीपवर्ती। • तगराए - तगरा - नगर विशेष। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004183
Book TitleAnuyogdwar Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2005
Total Pages534
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_anuyogdwar
File Size9 MB
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