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अनुयोगद्वार सूत्र
४. द्विगु समास से किं तं दिगुसमासे?
दिगुसमासे - तिण्णि कडुगाणि तिकडुगं, तिण्णि महुराणि-तिमहुरं, तिण्णि गुणाणि तिगुणं, तिण्णि पुराणितिपुरं, तिण्णि सराणि-तिसरं, तिण्णि पुक्खराणि=तिपुक्खरं, तिण्णि बिंदुयाणि=तिबिंदुयं, तिण्णि पहाणि तिपह, पंच णईओ=पंचणयं, सत्त गया सत्तगयं, णव तुरंगा=णवतुरंगं, दस गामा दसगाम, दस पुराणि-दसपुरं। सेत्तं दिगुसमासे। ___ शब्दार्थ - कडुगाणि - कटुक-कड़वी वस्तुएँ, सराणि - स्वर, पुक्खराणि - कमल, बिंदुयाणि - बूंदें, तिण्णि - तीन, पहाणि - पथ, तुरंग - घोड़े।
भावार्थ - द्विगु समास का क्या स्वरूप है?
तीन कटुक पदार्थों का समाहार - त्रिकटुक, तीन मधुर पदार्थों का समूह - त्रिमधुर, तीन गुणों का समन्वय - त्रिगुण; तीन नगरों का समवाय - त्रिपुर, तीन स्वरों का समुच्चय - त्रिस्वर, तीन पुष्करों (कमलों) का समुदाय - त्रिपुष्कर, तीन बिंदुओं का समवाय - त्रिबिंदुक, तीन पथों का समूह - त्रिपथ, पंचनदियों का समवाय - पंचनद, सप्त हाथियों का समूह - . सप्तगज, नौ तुरंगों का समूह - नवतुरंग, दस गाँवों का समवाय - दसग्राम, दस पुरों का समाहार - दसपुर - यह द्विगु समास का स्वरूप है।
विवेचन - द्विगु समास में पहला पद संख्यावाचक और दूसरा पद संज्ञावाचक होता है तथा वह संख्यापद समाहारात्मक आशय लिए रहता है। अर्थात् वे संख्या द्वारा सूचित पदार्थ समाहृत, समूहात्मक या सामुदायिक रूप में निरूपित होते हैं। यहाँ जो उदाहरण दिए गए हैं, उसका विग्रह - "त्रयाणां कटुकानां समाहार :- त्रिकटुकम्" - होता है।
इसी प्रकार अन्य विग्रह भी द्रष्टव्य हैं।
द्विगु समास में भी कर्मधारय की तरह विशेषण और विशेष्य का मेल होता है। इतना अन्तर है, इसमें विशेषण पर संख्यावाचक होता है तथा समस्त पद समाहार द्योतक होता है।
.. तत्पुरुष समास से किं तं तप्पुरिसे?
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