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आवंती
आचारांग सूत्र के
आया है। तदनुसार इस अध्ययन का नाम आवन्ती रखा गया है।
चातुरंगिनं (चाउरंगियं) परमंगाणि दुल्लहाणीह जंतुणो' यह पद है। इसके आधार पर इसका नाम 'चाउरंगियं' रखा गया है।
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दसनाम आदानपद निष्पन्न नाम
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असंखयं
उत्तराध्ययन सूत्र के चौथे अध्ययन के आदि में प्रयुक्त 'असंखयं जीवियं मा पमायए' - इस गाथा पद के अनुसार इस अध्ययन का नाम 'असंखयं' है।
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२२५
पंचम अध्ययन के प्रारम्भ में 'आवंती केयावंती' पद
प्रथम गाथा 'अहातत्थिज्जं' के आधार पर किया गया है।
अ
सूत्रकृतांग सूत्र के द्वितीय श्रुतस्कन्ध के छठे अध्ययन का नामकरण उसकी पहली गाथा - 'पुराकडं अद्दइज्जं सुणेह के आधार पर हुआ है।
उत्तराध्ययन सूत्र के पच्चीसवें अध्ययन के प्रारम्भ की गाथा में आए 'जण' पद के आधार पर यह नाम रखा गया है -
माहणकुलसंभूओ आसि विप्पो महायसो ।
जायई जम जण्णंमि जयघोसो त्ति नामओ ॥
उत्तराध्ययन के तीसरे अध्ययन के प्रारम्भ में 'चत्तारि
सूत्रकृतांग सूत्र (प्रथम श्रुतस्कन्ध) के तेरहवें अध्ययन का नाम उसकी
उसुकारिनं उत्तराध्ययन सूत्र के चौदहवें अध्ययन की पहली गाथा में आए हुए
'उसुयार' पद के आधार पर यह नाम रखा गया है।
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एलइ . उत्तराध्ययन सूत्र के सातवें अध्ययन के प्रारम्भ में आए 'एलयं' पद के आधार पर इस अध्ययन का यह नाम रखा गया है।
वीरियं - सूत्रकृतांग सूत्र के अष्टम अध्ययन का नाम इसकी पहली गाथा में आए 'वीरियं' पद के अनुसार है ।
धम्म
यह नाम सूत्रकृतांग सूत्र ( प्रथम श्रुतस्कन्ध ) के नवम् अध्ययन की पहली
गाथानुसार है।
मग्ग - सूत्रकृतांग सूत्र ( प्रथम श्रुतस्कन्ध) के ग्यारहवें अध्ययन की प्रथम गाथानुसार इस अध्यन का नाम 'मग्गज्झयणं' रखा है।
समोसरणं - सूत्रकृतांग सूत्र ( प्रथम श्रुतस्कन्ध ) के बारहवें अध्ययन की प्रथम गाथा में आए ‘समोसरणाणिमाणि' पद के आधार पर रखा गया है।
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