________________
२२२
अनुयोगद्वार सूत्र
(१३१)
दस नाम से किं तं दसणाम?
दसणामे दसविहे पण्णत्ते। तंजहा - गोण्णे १ णोगोण्णे २ आयाणपएणं ३ पडिवक्खपएणं ४ पाहण्णयाए ५ अणाइयसिद्धतेणं ६ णामेणं ७ अवयवेणं ८ संजोगेणंह पमाणेणं १०॥ ___ शब्दार्थ - गोण्णे - गुणनिष्पन्न, णोगोण्णे - गुणविरहित, पाहण्णयाए - प्राधान्य निष्पन्न, अणाइयसिद्धतेणं - अनादिसिद्धान्त निष्पन्न।
भावार्थ - दसनाम कितने प्रकार के हैं? दस नाम दस प्रकार के प्रज्ञापित हुए हैं -
१. गौणनिष्पन्न २. नोगौण निष्पन्न ३. आदानपद निष्पन्न ४. प्रतिपक्षपद निष्पन्न ५. प्राधान्य निष्पन्न ६. अनादिसिद्धांत निष्पन्न ७. नाम निष्पन्न ८. अवयव निष्पन्न ६. संयोग निष्पन्न एवं १०. प्रमाण निष्पन्न।
१. गौणनाम से किं तं गोण्णे?
गोण्णे-खमइ त्ति खमणो, तवइ ति तवणो, जलइ-त्ति जलणो, पवइ त्ति पवणो। सेत्तं गोण्णे।
शब्दार्थ - खमइ - क्षमा करता है, तवइ - तप करता है, जलइ - प्रज्वलित होता है, पवइ - प्रवाहित होता है।
भावार्थ - गौण नाम का क्या स्वरूप है?
गौण नाम गुणनिष्पन्न होता है - जो क्षमा करता है, वह क्षमण कहलाता है। जो तपता है, वह तपन - सूर्य है। जो प्रज्वलित होता है, वह जलन (अग्नि) है। जो प्रवाहित होती है, उसे पवन कहा जाता है।
विवेचन - भाषा में तीन प्रकार के शब्दों का प्रयोग होता है, जो यौगिक, रूढ और योगरूढ के नाम से विश्रुत हैं।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org