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सप्तस्वरोत्पत्ति
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भावार्थ - गाथाएँ - सातों स्वरों का उद्भव कहाँ से होता है?
गीत का उत्पत्ति स्थान क्या है? उसके उच्छ्वास कियत्कालिक होते हैं? गीत के कितने आकार - रूप होते हैं?॥१॥ ___ सातों स्वरों का उद्भव नाभि से होता है। गीत की उत्पत्ति रुदन - त्रासदी (Tragedy) से होती है। उच्छ्वास गीत के चरणों के अनुरूप होते हैं। गीत के तीन आकार या स्वरूप हैं। आदि में उसको मृदु से प्रारम्भ किया जाता है, मध्य में समुद्वाह - उसी रूप में संचार किया जाता है तथा अन्त में परिसमापन किया जाता है। ये गीत के तीन आकार हैं॥२-३॥
विवेचन - इस सूत्र में गीत के उद्भव के संबंध में विशेष रूप से चर्चा की गई है। "गीतं च रुन्नजोणियं" - अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। गीत - जिसे गीतिकाव्य भी कहा जा सकता है, संगीतात्मक काव्य प्रस्तुति है। काव्य या संगीत के मूल में आधार के रूप में भाव अपेक्षित हैं। साहित्य शास्त्र में उसे स्थायी भाव कहा गया है, जो प्रत्येक व्यक्ति के हृदय में अव्यक्त रूप में विद्यमान रहता है। काव्य या गीत सुखान्त और दुःखान्त के रूप में दो प्रकार के बताए गए हैं। आज की भाषा में उन्हें कामदी (Comady) और त्रासदी (Tragedy) कहा जाता है। कामदी का ही विकसित रूप श्रृंगार रस है। श्रृंगार लौकिक रति या प्रेम पर आधारित है, जो कुछेक अपवादों के साथ मानव मात्र के लिए अतिप्रिय है। ___ इस संदर्भ में पाश्चात्य और भारतीय वाङ्मय में एक महत्त्वपूर्ण संयोग और मिलता है, जो आगम के प्रस्तुत पद के साथ सर्वथा संगति लिए है।
संस्कृत में वाल्मीकि आदि कवि हैं, जिन्होंने रामायण की रचना की। व्याध द्वारा बाण से आहत, भूमि पर तड़पते क्रौञ्च पक्षी को देखकर पेड़ पर बैठी क्रौञ्ची के विलाप को ज्योंही वाल्मीकी ने सुना, उनका हृदय शोक से विगलित हो उठा (उनका) अन्तस् रो उठा। तब शोक विह्वल हृदय से सहज रूप से उनके मुख से निम्नांकित पंक्तियाँ निकल पड़ी -
मा निषाद् प्रतिष्ठां त्वमगमः शाश्वतीः समाः। यत्क्रौञ्चमिथुनादेकमवधीः काममोहितम्॥
अरे व्याघ! तुम्हें कभी भी प्रतिष्ठा और शांति प्राप्त नहीं होगी। तुमने कितना नृशंस और निर्मम कार्य कर डाला, क्रौञ्च युगल में से एक को मार जो दिया।
शोकः श्लोकत्वमागतः' - शोक श्लोक बन गया। वाल्मीकी रामायण आदि काव्य कहा जाता है, जिसका उद्भव यह श्लोक है।
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