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चतुसंयोगी सान्निपातिक भाव
का भाव
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उत्तर - औपशमिक भाव में उपशांत कषाय, क्षायिक भाव में क्षायिक सम्यक्त्व तथा पारिणामिक भाव में जीवत्व ग्रहण है। यह औपशमिक-क्षायिक-पारिणामिक भाव समुत्पन्न भंग का स्वरूप है॥८॥
प्रश्न - औपशमिक-क्षायोपशमिक-पारिणामिक भाव निष्पन्न भंग का कैसा स्वरूप है?
उत्तर - औपशमिक भाव में उपशांत कषाय, क्षायोपशमिक भाव में इन्द्रियाँ तथा पारिणामिक भाव में जीवत्व गृहीत हैं। यह औपशमिक-क्षायोपशमिक-पारिणामिक भावों के समन्वय से निष्पन्न भंग का स्वरूप है॥
प्रश्न - क्षायिक-क्षायोपशमिक-पारिणामिक भाव निष्पन्न भंग का कैसा स्वरूप है?
उत्तर - क्षायिक भाव में क्षायिक सम्यक्त्व, क्षायोपशमिक भाव में इन्द्रियाँ तथा पारिणामिक भाव में जीवत्व का ग्रहण है। यह क्षायिक-क्षायोपशमिक-पारिणामिक भावों से निष्पन्न भंग का स्वरूप है॥१०॥
चतुसंयोगी सान्निपातिक भाव तत्थ णं जे ते पंच चउक्कसंजोगा ते णं इमे - अत्थि णामे उदइयउवसमियखइयखओवसमणिप्फण्णे १ अत्थि णामे उदइयउवसमियखइय-पारिणामियणिप्फण्णे २ अत्थि णामे उदइयउवसमियखओवसमियपारिणामियणिप्फण्णे ३ अत्थि णामे उदइयखइयखओवसमियपारिणामियणिप्फण्णे ४ अत्थि णामे उवसमियखइयखओवसमियपारिणामियणिप्फण्णे ५। .
भावार्थ - चार भावों के संयोग से होने वाले सान्निपातिक भाव से पाँच भंग बनते हैं, जो निम्नांकित हैं -
१. औदयिक-औपशमिक-क्षायिक-क्षायोपशमिक निष्पन्न, २. औदयिक-औपशमिक-क्षायिक-पारिणामिक निष्पन्न, ३. औदयिक-औपशमिक-क्षायोपशमिक-पारिणामिक निष्पन्न, ४. औदयिक-क्षायिक-क्षायोपशमिक-पारिणामिक निष्पन्न, ५. औपशमिक-क्षायिक-क्षायोपशमिक-पारिणामिक निष्पन्न। ये चार भावों के संयोग से समुत्पन्न पाँच भंग हैं।
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