SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 215
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १६० अनुयोगद्वार सूत्र कयरे से णामे उदइयउवसमियखइयखओवसमणिप्फण्णे? . उदइए त्ति मणुस्से, उवसंता कसाया, खइयं सम्मत्तं, खओवसमियाइं इंदियाई, एस णं से णामे उदइयउवसमियखइयखओवसमणिप्फण्णे। कयरे से णामे उदइयउवसमियखइयपारिणामियणिप्फण्णे? उदइए त्ति मणुस्से, उवसंता कसाया, खइयं सम्मत्तं, पारिणामिए जीवे, एस णं से णामे उदइयउवसमियखइयपारिणामियणिप्फण्णे। कयरे से णामे उदइयउवसमियखओवसमियपारिणामियणिप्फण्णे? ... उदइए त्ति मणुस्से, उवसंता कसाया, खओवसमियाई इंदियाई, पारिणामिए जीवे, एस णं से णामे उदइयउवसमियखओवसमियपारिणामियणिप्फण्णे। कयरे से णामे उदइयखइयखओवसमियपारिणामियणिप्फण्णे? ... उदइए त्ति मणुस्से, खइयं सम्मत्तं, खओवसमियाइं इंदियाई, पारिणामिए जीवे, एस णं से णामे उदइयखइयखओवसमियपारिणामियणिप्फण्णे। कयरे से णामे उवसमियखइयखओवसमियपारिणामियणिप्फण्णे? उवसंता कसाया, खइयं सम्मत्तं, खओवसमियाइं इंदियाई, पारिणामिए जीवे, एस णं से णामे उवसमियखइयखओवसमियपारिणामियणिप्फण्णे। भावार्थ - प्रश्न - औदयिक-औपशमिक-क्षायिक-क्षायोपशमिक निष्पन्न भंग का क्या स्वरूप है? उत्तर - औदयिक भाव में मनुष्य गति, औपशमिक भाव में उपशांत कषाय, क्षायिक भाव में क्षायिक सम्यक्त्व तथा क्षायोपशमिक भाव में इन्द्रियों का ग्रहण है। यह औदयिक-औपशमिकक्षायिक-क्षायोपशमिक भंग का स्वरूप है॥१॥ प्रश्न - औदयिक-औपशमिक-क्षायिक-पारिणामिक निष्पन्न भंग का कैसा स्वरूप है? उत्तर - औदयिक भाव में मनुष्य गति, औपशमिक भाव में उपशांत कषाय, क्षायिक भाव में क्षायिक सम्यक्त्व तथा पारिणामिक भाव में जीवत्व का ग्रहण है। यह औदयिक-औपशमिकक्षायिक-पारिणामिक भाव निष्पन्न भंग का स्वरूप है॥२॥ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004183
Book TitleAnuyogdwar Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2005
Total Pages534
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_anuyogdwar
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy