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त्रिकसंयोगी सान्निपातिक भाव
१८७
कयरे से णामे उदइयखइयपारिणामियणिप्फण्णे?
उदइए त्ति मणुस्से, खइयं सम्मत्तं, पारिणामिए जीवे, एस णं से णामे उदइयखइयपारिणामियणिप्फण्णे।
कयरे से णामे उदइयखओवसमियपारिणामियणिप्फण्णे?
उदइए त्ति मणुस्से, खओवसमियाइं इंदियाइं, पारिणामिए जीवे, एस णं से णामे उदइयखओवसमियपारिणामियणिप्फण्णे।
कयरे से णामे उवसमियखइयखओवसमणिप्फण्णे?
उवसंता कसाया, खइयं सम्मत्तं, खओवसमियाइं इंदियाई, एस णं से णामे उवसमियखइयखओवसमणिप्फण्णे।।
कयरे से णामे उवसमिइयखइयपारिणामियणिप्फण्णे?
उवसंता कसाया, खइयं सम्मत्तं, पारिणामिए जीवे, एस णं से णामे उवसमियखइयपारिणामियणिप्फण्णे।
कयरे से णामे उवसमियखओवसमियपारिणामियणिप्फण्णे?
उवसंता कसाया, खओवसमियाइं इंदियाई, पारिणामिए जीवे एस णं से णामे उवसमियखओवसमियपारिणामियणिप्फण्णे।
कयरे से णामे खइयखओवसमियपारिणामियणिप्फण्णे? .
खइयं सम्मत्तं, खओवसमियाइं इंदियाइं, पारिणामिए जीवे, एस णं से णामे खइयखओवसमियपारिणामियणिप्फण्णे।
भावार्थ - प्रश्न - औदयिक-औपशमिक-क्षायिक भाव के संयोग से होने वाले भंग का क्या स्वरूप है?
उत्तर - औदयिक भाव में मनुष्य गति, औपशमिक भाव में उपशांत कषाय तथा क्षायिक भाव में क्षायिक सम्यक्त्व का ग्रहण है। इन तीनों का सम्मिलन औदयिक-औपशमिक-क्षायिक भाव का स्वरूप है॥१॥
प्रश्न - औदयिक-औपशमिक एवं क्षायोपशमिक भाव के संयोग से होने वाले भंग का क्या स्वरूप है? .
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