________________
१८६
अनुयोगद्वार सूत्र
णामे उवसमियखओवसमियपारिणामियणिप्फण्णे , अत्थि णामे खइयखओवसमियपारिणामियणिप्फण्णे १०।
भावार्थ - त्रिकसंयोगज सान्निपातिक भाव दस हैं - १. औदयिक-औपशमिक-क्षायिक निष्पन्न, २. औदयिक-औपशमिक-क्षायोपशमिक निष्पन्न, ३. औदयिक-औपशमिक-पारिणामिक निष्पन्न, ४. औदयिक-क्षायिक-क्षायोपशमिक निष्पन्न, ५. औदयिक-क्षायिक-पारिणामिक निष्पन्न, ६. औदयिक-क्षायोपशमिक-पारिणामिक निष्पन्न, ७. औपशमिक-क्षायिक-क्षायोपशमिक निष्पन्न, ८. औपशमिक-क्षायिक-पारिणामिक निष्पन्न, ६. औपशमिक-क्षायोपशमिक-पारिणामिक निष्पन्न, १०. क्षायिक-क्षायोपशमिक-पारिणामिक निष्पन्न। कयरे से णामे उदइयउवसमियखयणिप्फण्णे?
उदइए त्ति मणुस्से, उवसंता कसाया, खइयं सम्मत्तं, एस णं से णामे उदइयउवसमियखयणिप्फण्णे।
कयरे से णामे उदइयउवसमियखओवसमणिप्फण्णे?
उदइए त्ति मणुस्से, उवसंता कसाया, खओवसमियाइं इंदियाई, एस णं से णामे उदइयउवसमियखओवसमणिप्फण्णे।
कयरे से णामे उदइयउवसमियपारिणामियणिप्फण्णे?
उदइए त्ति मणुस्से, उवसंता कसाया, पारिणामिए जीवे, एस णं से णामे उदइयउवसमियपारिणामियणिप्फण्णे।
कयरे से णामे उदइयखइयखओवसमणिप्फण्णे?
उदइए त्ति मणुस्से, खइयं सम्मत्तं, खओवसमियाइं इंदियाई, एस णं से णामे उदइयखइयखओवसमणिप्फण्णे।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org