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त्रिकसंयोगी सान्निपातिक भाव
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प्रश्न - औदयिक-पारिणामिक भाव के संयोग से होने वाले भंग का क्या स्वरूप है? उत्तर - औदयिक भाव में मनुष्य गति तथा पारिणामिक भाव में जीवत्व का ग्रहण है। औदयिक-पारिणामिक भाव का यह स्वरूप है॥४॥ प्रश्न - औपशमिक तथा क्षायिक के संयोग से होने वाले भंग का क्या स्वरूप है?
उत्तर - औपशमिक भाव में उपशांत कषाय तथा क्षायिक भाव में सम्यक्त्व का ग्रहण है। दोनों का समन्वित रूप औपशमिक-क्षायिक संयोग निष्पन्न है॥५॥
प्रश्न - औपशमिक तथा क्षायोपशमिक भावों के संयोग से निष्पन्न भंग का क्या स्वरूप है?
उत्तर - औपशमिक भाव में उपशांत कषाय तथा क्षायोपशमिक भाव में इन्द्रियाँ गृहीत हैं। इन दोनों के संयोग से औपशमिक-क्षायोपशमिक भाव निष्पत्ति पाता है॥६॥
प्रश्न - औपशमिक तथा पारिणामिक भावों के संयोग से निष्पन्न भंग का क्या स्वरूप है?
उत्तर - औपशमिक भाव में उपशांत कषाय तथा पारिणामिक भाव में जीवत्व का ग्रहण है। दोनों का समन्वित रूप औपशमिक-पारिणामिक भाव है॥७॥ __ प्रश्न - क्षायिक और पारिणामिक भावों के संयोग से निष्पन्न भंग का क्या स्वरूप है?
उत्तर - क्षायिक भाव में क्षायिक सम्यक्त्व का और पारिणामिक भाव में जीवत्व का ग्रहण है। दोनों के संयोग से क्षायिक-पारिणामिक भंग निष्पन्न होता है॥८॥
प्रश्न - क्षायोपशमिक और पारिणामिक भाव के संयोग से होने वाले भंग का क्या स्वरूप है?
उत्तर - क्षायोपशमिक भाव में इन्द्रियों का तथा पारिणामिक भाव में जीवत्व का ग्रहण है। दोनों का संयोग क्षायोपशमिक-पारिणामिक भाव का स्वरूप है॥६॥ .
- त्रिकसंयोगी सान्निपातिक भाव
तत्थ णं जे ते दस तिगसंजोगा ते णं इमे-अत्थि णामे उदइयउवसमिखयणिप्फण्णे १ अस्थि णामे उदइयउवसमियखओवसमणिप्फण्णे २ अस्थि णामे उदइयउवसमियपारिणामियणिप्फण्णे ३ अस्थि णामे उदइयखइयखओवसमणिप्फण्णे ४ अस्थि णामे उदइयखइयपारिणामियणिप्फण्णे ५ अस्थि णामे उदइयखओवसमियपारिणामियणिप्फण्णे ६ अत्थि णामे उवसमियखइयखओवसमणिप्फण्णे ७ अत्थि णामे उवसमियखइयपारिणामियणिप्फण्णे ८ अत्थि
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