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सान्निपातिक भाव ................. तत्थ णं जे ते दस दुगसंजोगा ते णं इमे - अत्थि णामे उदइयउवसमणिप्फण्णे१ अस्थि णामे उदइयखाइगणिप्फण्णे २ अस्थि णामे उदइयखओवसमणिप्फण्णे ३ अत्थि णामे उदइयपारिणामियणिप्फण्णे ४ अत्थि णामे उवसमियखयणिप्फण्णे ५ अत्थि णामे उवसमियखओवसमणिप्फण्णे ६ अत्थि णामे उवसमियपारिणामियणिप्फण्णे ७ अत्थि णामे खइयखओवसमणिप्फण्णे ८ अत्थि णामे खड़यपारिणामियणिप्फण्णे ६ अत्थि णामे खओवसमियपारिणामियणिप्फण्णे १०।
भावार्थ - दो-दो के संयोग से होने वाले दस भंग, इस प्रकार हैं - १. औदयिकऔपशमिक के संयोग से २. औदयिक तथा क्षायिक के संयोग से ३. औदयिक - क्षायोपशमिक के संयोग से ४. औदयिक एवं पारिणामिक के संयोग से ५. औपशमिक - क्षायिक के संयोग से ६. औपशमिक - क्षायोपशमिक के संयोग से ७. औपशमिक - पारिणामिक के संयोग से ८. क्षायिक - क्षायोपशमिक के संयोग से ६. क्षायिक - पारिणामिक के संयोग से १०. क्षायोपशमिकपारिणामिक के संयोग से निष्पन्न होने वाले भाव दस भंगों के रूप में अभिहित हैं।
कयरे से णामे उदइयउवसमणिप्फण्णे? उदइए त्ति मणुस्से, उवसंता कसाया एस णं से णामे उदइयउवसमणिप्फण्णे। कयरे से णामे उदइयखयणिप्फण्णे? उदइए त्ति मणुस्से, खइयं सम्मत्तं, एस णं से णामे उदइयखयणिप्फण्णे। कयरे से णामे उदइयखओवसमणिप्फण्णे?
उदइए त्ति मणुस्से, खओवसमियाइं इंदियाई, एस णं से णामे उदइयखओवसमणिप्फण्णे।
कयरे से णामे उदइयपारिणामियणिप्फण्णे?
उदइए त्ति मणुस्से, पारिणामिए जीवे, एस णं से णामे उदइयपारिणामियणिप्फण्णे।
कयरे से णामे उवसमियखयणिप्फण्णे? । उवसंता कसाया, खइयं सम्मत्तं, एस णं से णामे उवसमियखयणिप्फण्णे।
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