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अनुयोगद्वार
गाहा - जुण्णसुरा जुण्णगुलो, जुण्णघयं जुण्णतंदुला चेव । अब्भा य अब्भरुक्खा, सण्णा गंधव्वणगरा य ॥१॥ उक्कावाया, दिसादाहा, गज्जियं, विज्जू, णिग्घाया, जूवया, जक्खादित्ता, धूमिया, महिया, रउग्घाया, चंदोवरागा, सूरोवरागा, चंदपरिवेसा, सूरपरिवेसा, पडिचंदा, पडिसूरा, इंदधणू, उदगमच्छा, कविहसिया, अमोहा, वासा, वासधरा, गामा, णगरा, घरा, पव्वया, पायाला, भवणा, णिरया-रयणप्पहा, सक्करप्पहा, वालुयप्पहा, पंकप्पा, धूमप्पहा, तमप्पहा, तमतमप्पहा, सोहम्मे जाव अच्चुएं, मेवेजे, अणुत्तरे, ईसिप्पब्भारा, परमाणुपोग्गले, दुपएसिए जाव अणंतपएसिए । सेत्तं साइपारिणामिए ।
वृक्ष के आकार में.
उल्कापात,
शब्दार्थ - जुणसुरा - जीर्ण मदिरा पुरानी शराब, जुण्णगुलो- पुराना गुड़, जुण्णघयं - पुराना घृत, जुण्णतंदुला - पुराने चावल, अब्भा - मेघ, अब्भरुक्खा बादल, सण्णा - संध्या, गंधव्वणगरा - देवों के द्वारा कृत नगर, उक्कावाया दिसादाहा - दिग्दाह, गज्जियं - गर्जित, विज्जू - बिजली, णिग्घाया - निर्घात, जूवया यूपक - संध्या की प्रभा एवं चन्द्रप्रभा का मिश्रण, जक्खादित्ता - यक्षादीप्त - यक्ष आदि व्यंतर देवों द्वारा आकाश में विद्युत की तरह किया गया प्रकाश, धूमिया धूमिका, महि महिका - काली और सफेद धुँअर, रउग्घाया रजउद्घात चारों ओर धूल का फैल जाना, चंदोवरागा - चंद्रोपराग - चन्द्रग्रहण, सूरोवरागा - सूर्योपराग सूर्यग्रहण, चंदपरिवेसा चन्द्रपरिवेश, सूरपरिवेसा - सूर्यपरिवेश- चन्द्र / सूर्य के चारों और पुद्गल परमाणु निर्मित कुण्डलाकार परिमंडल, पडिचंदा - प्रतिचन्द्र - उत्पातादादिसूचक द्वितीय चन्द्र परिदर्शन, पडिसूरा - प्रतिसूर्यउत्पातादादिसूचक द्वितीय सूर्य का दर्शन, इंदधणू - इन्द्रधनुष, उदगमच्छा इन्द्रधनुष के खण्ड, उत्पात विशेष, कविहसिया - कपिहसित कभी-कभी आकाश में सुनाई देने वाली अति कर्ण कटु आवाज, अमोहा - अमोघ सूर्य बिंब के नीचे यदाकदा दिखाई देती काली रेखा, वासा वर्ष - भरतादि क्षेत्र, वासधरा
उदगमत्स्य
वर्षधर - पर्वत विशेष, गामा
ग्राम,
णगरा
पाताल ।
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नगर शहर, घरा
भावार्थ - पारिणामिक भाव कितने प्रकार का है?
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गृह, पव्वया - पर्वत, पायाला
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