________________
क्षयोपशम- निष्पन्न
Jain Education International
क्षयोपशम - निष्पन्न
से किं तं खओवसमणिप्फण्णे ?
खओवसमणिप्फण्णे अणेगविहे पण्णत्ते । तंजहा खओवसमिया आभिणिबोहियणाणलद्धी जाव खओवसमिया मणपज्जवणाणलद्धी, खओवसमिया मइअण्णाणलद्धी, खओवसमिया सुयअण्णाणलद्धी, खओवसमिया विभंगणाणलद्धी, खओवसमिया चक्खुदंसणलद्धी, खओवसमिया अचक्खुदंसणलद्धी, खओवसमिया ओहिदंसणलद्धी, एवं सम्मदंसणलद्धी मिच्छादंसणलद्धी सम्ममिच्छादंसणलद्धी, खओवसमिया सामाइयचरिक्तलद्धी, एवं छेदोवट्ठावणलद्धी . परिहारविसुद्धियलद्धी सुहुमसंपरायचरित्तलद्धी, एवं चरित्ताचरित्तलद्धी, खओवसमिया दाणलद्धी, एवं लाभलद्धी भोगलद्धी उवभोगलद्धी, खओवसमिया वीरियलद्धी, एवं पंडियवीरियलद्धी बालवीरियलद्धी बालपंडियवीरियलद्धी, खओवसमिया सोइंदियलद्धी जाव फासिंदियलद्धी, खओवसमिए आयारंगधरे, एवं सुयगडंगधरे ठाणंगधरे समवायंगधरे विवाहपण्णत्तिधरे णायाधम्मकहाधरे उवासगदसा० अंतगडदसा० अणुत्तरोववाइयदसा० पण्हावागरणधरे विवागसुयधरे, खओवसमिए दिट्ठिवायधरें, खओवसमिए णवपुव्वी जाव चउद्दसपुव्वी, खओवसमिए गणी, खओवसमिए वायए । सेत्तं खओवसम - णिप्फण्णे । सेत्तं खओवसमिए । आभिनिबोधिक ज्ञान लब्धि, सोइंदियलद्धी
शब्दार्थ - आभिणिबोहियणाणलद्धी
-
-
श्रोत्रेन्द्रिय लब्धि, वायए वाचक । भावार्थ - क्षयोपशम निष्पन्न का क्या स्वरूप है?
क्षयोपशम निष्पन्न अनेक प्रकार का प्रज्ञप्त हुआ है क्षायोपशमिकी आभिनिबोधिक ज्ञानलब्धि यावत् क्षायोपशमिकी मनः पर्याय ज्ञान लब्धि, क्षायोपशमिकी मति अज्ञान लब्धि, क्षायोपशमिकी श्रुत - अज्ञान लब्धि, क्षायोपशमिकी विभंग-ज्ञानलब्धि, क्षायोपशमिकी चक्षुदर्शन लब्धि, इसी प्रकार अचक्षुदर्शनलब्धि, अवधिदर्शनलब्धि, सम्यग्दर्शनलब्धि, मिथ्यादर्शनलब्धि, सम्यग्मिथ्यादर्शन लब्धि, क्षायोपशमिकी सामायिक चारित्रलब्धि, छेदोपस्थापन लब्धि,
For Personal & Private Use Only
-
-
१७७
-
-
www.jainelibrary.org