________________
द्विनाम का स्वरूप
१५३
युक्त सम्मूर्च्छिम चतुष्पद थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक जीव तथा अपर्याप्त सम्मूर्च्छिम चतुष्पद थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक जीव विशेषित होंगे।
यदि गर्भव्युत्क्रान्तिक चतुष्पद थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिक जीव अविशेषित होंगे तो पर्याप्त गर्भव्युत्क्रान्तिक चतुष्पद थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिक जीव तथा अपर्याप्ति युक्त गर्भव्युत्क्रान्तिक चतुष्पद थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिक जीव विशेषित होंगे।
परिसर्प थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिक जीव अविशेषित हैं तो छाती के बल रेंगकर चलने वाले थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिक जीव एवं भुजाओं के बल रेंगकर चलने वाले थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिक जीव विशेषित होंगे।
इसी प्रकार सम्मूर्च्छिम पर्याप्ति युक्त एवं पर्याप्ति रहित तथा गर्भव्युत्क्रान्तिक जीव भी पर्याप्ति एवं अपर्याप्ति के रूप में ऊपर की तरह कथनीय हैं।
अविसेसिए - खहयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिए । विसेसिए - सम्मुच्छिम - खहयरपंचिंदिय-तिरिक्खजोणिए य, गब्भवक्कंतियखहयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिए य ।
अविसेसिए - सम्मुच्छिमखहयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिए । विसेसिए - पज्जत्तयसम्मुच्छिमखहयर-पंचिंदियतिरिक्खजोणिए य, अपज्जत्तयसम्मुच्छिमखहयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिए य ।
-
अविसेसिए गब्भवक्कंतियखहयरपंचिंदिय-तिरिक्खजोणिए । विसेसिए - पज्जत्तयगढ़भवक्कंतियखहयर - पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिए य, अपज्जत्तयगब्भवक्कंतियखहयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिए य ।
भावार्थ- गगनचारी - पंचेन्द्रिय-तिर्यंचयोनिक जीव अविशेषित हैं तो सम्मूर्च्छिम गगनचारी पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक जीव एवं गर्भव्युत्क्रान्तिक गगनचारी पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक जीव विशेषित होंगे।
यदि सम्मूर्च्छिम गगनचारी पंचेन्द्रिय तिर्थंच योनिक जीव अविशेषित होंगे तो पर्याप्तियुक्त सम्मूर्च्छिम गगनचारी पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक जीव तथा पर्याप्ति रहित सम्मूर्च्छिम गगनचारी पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक जीवों को विशेषित मानना होगा।
यदि गर्भव्युत्क्रान्तिक गगनचारी पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक जीव को अविशेषित मानते हैं तो पर्याप्तियुक्त गर्भव्युत्क्रान्तिक गगनचारी पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक जीव एवं पर्याप्ति रहित गर्भव्युत्क्रान्तिक गगनचारी पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक जीवों को विशेषित मानना होगा ।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org