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________________ १५२ अनुयोगद्वार सूत्र गर्भव्युत्क्रान्तिक जलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिक तथा पर्याप्ति रहित गर्भव्युत्क्रान्तिक जलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिक विशेषित होंगे। अविसेसिएथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिए। विसेसिए-चउप्पयथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिए य, परिसप्पथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिए य। अविसेसिए-चउप्पयथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिए। विसेसिए - सम्मुच्छिमचउप्पयथलयर-पंचिंदियतिरिक्खजोणिए य, गब्भवक्कंतिय चउप्पयथलयर- . पंचिंदियतिरिक्खजोणिए य। अविसेसिए - सम्मुच्छिमचउप्पयथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिए। विसेसिए - पजत्तयसम्मुच्छिम चउप्पयथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिए य, अपजत्तयसम्मुच्छिम चउप्पयथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिए य। ___ अविसेसिए - गब्भवक्कंतियचउप्पय- थलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिए। विसेसिए - पजत्तयगब्भवक्कंतियचउप्पय-थलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिए य, अपजत्तयगन्भवक्कंतियचउप्पयथलयरपंचिंदिय तिरिक्खजोणिए य। अविसेसिए - परिसप्पथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिए। विसेसिए - उरपरिसप्पथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिए य, भुयपरिसप्पथलयर-पंचिंदियतिरिक्खजोणिए य। एए वि सम्मुच्छिमा पजत्तगा अपजत्तगा य गब्भवक्कंतिया वि पज्जत्तगा अपजत्तगा य भाणियव्वा। शब्दार्थ - परिसप्प - परिसर्प-रेंगकर चलने वाले प्राणी, उरपरिसप्प - छाती के बल रेंगने वाले, भुयपरिसप्प - भुजाओं के बल रेंगने वाले। भावार्थ - थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक अविशेषित हैं किन्तु चतुष्पद थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक तथा परिसर्प थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक विशेषित हैं। यदि चतुष्पद थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक को अविशेषित मानते हैं तो सम्मूर्छिम चतुष्पद थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक तथा गर्भव्युत्क्रान्तिक चतुष्पद थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक को विशेषित मानना होगा। यदि सम्मूर्छिम चतुष्पद थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक जीव अविशेषित हैं तो पर्याप्ति Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004183
Book TitleAnuyogdwar Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2005
Total Pages534
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_anuyogdwar
File Size9 MB
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