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समाचारी - आनुपूर्वी का निरूपण
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३. सादि संस्थान - 'सादि' शब्द 'स+आदि' से बना है। 'स' का तात्पर्य 'साथ' है तथा 'आदि' का अर्थ प्रारंभिक भाग है। नाभि से नीचे का भाग यहाँ आदि से गृहीत है। क्योंकि दैहिक वर्णन में देहयष्टि का प्रारंभ चरणों से माना गया है। इससे आगे बढ़ते-बढ़ते मस्तक तक वर्णन होता है। इस क्रम को उत्सेध कहा जाता है। इस संस्थान में नाभि से नीचे का भाग प्रमाणोपेत तथा ऊपर का भाग हीन होता है। ___ कहीं-कहीं सादि संस्थान को साची संस्थान भी कहा गया है। साची का अर्थ शाल्मली या सेमल का वृक्ष है। उसका नीचे का तना जितना परिपुष्ट होता है, उतना ऊपर का भाग नहीं होता। उसी प्रकार जिस शरीर में नाभि के नीचे का भाग परिपुष्ट तथा ऊपर का भाग हीन होता है, वह साची संस्थान है।
४. कुब्ज संस्थान - जिस देह में हाथ, पैर, मस्तक, ग्रीवा आदि अंग प्रमाणोपेत या पूर्ण हों, परन्तु वक्ष, उदर, पीठ आदि वक्र या टेढ़े-मेढ़े हों, उसे कुब्ज संस्थान कहा जाता है।
५. वामन संस्थान - जिस देह में वक्ष, पीठ, उदर आदि प्रमाणोपेत हों किन्तु हाथ, पैर • आदि अवयव हीन होते हैं, उसे वामन संस्थान कहा जाता है। बौने व्यक्तियों का यही संस्थान है।
६. हुंड संस्थान - जिस देह के समस्त अंग अप्रमाणोपेत हों, बेढंगे हों, अर्थात् एक भी अवयव शास्त्रोक्त प्रमाणानुसार न हो, वह हुंड संस्थान है।
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समाचारी - आनुपूर्वी का निरूपण से किं तं सामायारीआणुपुव्वी?
सामायारी आणुपुव्वी तिविहा पण्णत्ता। तंजहा- पुव्वाणुपुव्वी १ पच्छाणुपुव्वी २ अणाणुपुव्वी ३।
से किं तं पुव्वाणुपुव्वी? पुव्वाणुपुव्वीगाहा - इच्छा-मिच्छा-तहक्कारो, आवस्सिया य णिसीहिया।
आपुच्छणा य पडिपुच्छा, छंदणा य णिमंतणा॥१॥ उवसंपया य काले समायारी भवे दसविहा उ। सेत्तं पुव्वाणुपुव्वी। .
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