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________________ अनुगम एवं इसके भेद १२७ ४. त्रिसमयस्थितियुक्त अनेक द्रव्य आनुपूर्वियाँ ५. एक समयस्थितियुक्त अनेक द्रव्य अनानुपूर्वियाँ तथा ६. द्विसमयस्थितियुक्त अनेक द्रव्य अवक्तव्य (बहुवचन) हैं। ____अथवा, त्रिसमयस्थितिक एवं एकसमयस्थितिक द्रव्य, आनुपूर्वी तथा अनानुपूर्वी के रूप में यहाँ छब्बीस भंग द्रव्यानुपूर्वी के पाठ की तरह ग्राह्य हैं यावत् यह नैगमव्यवहार सम्मत भंगोपदर्शनता का स्वरूप है। ___ (१११) (द) समवतार से किं तं समोयारे? समोयारे - णेगमववहाराणं आणुपुव्वीदव्वाइं कहिं समोयरंति? किं आणुपुव्वीदव्वेहिं समोयरंति? अणाणुपुव्वीदव्वेहिं समोयरंति? अवत्तव्वयदव्वेहिं समोयरंति? ____एवं तिण्णि वि सट्ठाणे समोयरंति इति भाणियव्वं । सेत्तं समोयारे। भावार्थ - समवतार का क्या स्वरूप है? नैगम-व्यवहार सम्मत आनुपूर्वी द्रव्य कहाँ समवतरित होते हैं? क्या आनुपूर्वी द्रव्यों में समवतरित होते हैं? अनानुपूर्वी द्रव्यों में समवतरित होते हैं? अवक्तव्य द्रव्यों में समवतरित होते हैं? (यहाँ यह ज्ञातव्य हैं) तीनों ही स्व-स्व स्थानों में समवतरित होते हैं, ऐसा पूर्वानुसार कथनीय है। यह समवतार का विवेचन है। (११२) अनुगम एवं इसके भेद से किं तं अणुगमे? अणुगमे णवविहे पण्णत्ते। तंजहा - गाहा - संतपयपरूवणया, दव्वपमाणं च खित्तं फुसणा य। कालो य अंतरं भाग, भावे अप्पाबहुं चेव॥१॥ भावार्थ - अनुगम कितने प्रकार का है? अनुगम नौ प्रकार का बतलाया गया है - Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004183
Book TitleAnuyogdwar Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2005
Total Pages534
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_anuyogdwar
File Size9 MB
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