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अनुयोगद्वार सूत्र
णेगमववहाराणं भंगसमुक्कित्तणया-अत्थि आणुपुव्वी १ अस्थि अणाणुपुव्वी २ अत्थि अवत्तव्वए ३ एवं दव्वाणुपुव्वीगमेणं कालाणुपुव्वीए वि ते चेव छब्बीसं भंगा भाणियव्वा जाव सेत्तं णेगमववहाराणं भंगसमुक्कित्तणया।
भावार्थ - नैगमव्यवहारनय सम्मत भंगसमुत्कीर्तनता का क्या स्वरूप है?
नैगमव्यवहारय सम्मत भंगसमुत्कीर्तनता - १. आनुपूर्वी २. अनानुपूर्वी एवं ३. अवक्तव्य के रूप में पूर्ववर्णित छब्बीस भंग द्रव्यानुपूर्वी के विवेचन के सदृश यहाँ कालानुपूर्वी के वर्णन में भणनीय-कथनीय हैं यावत् यह नैगमव्यवहारानुरूप भंगसमुत्कीर्तनता है।
एयाए णं णेगमववहाराणं भंगसमुक्कित्तणयाए किं पओयणं?
एयाए णं णेगमववहाराणं भंगसमुक्कित्तणयाए णेगमववहाराणं भंगोवदंसणया कज्ज।
भावार्थ - इस नैगमव्यवहारनय सम्मत भंगसमुत्कीर्तनता का क्या प्रयोजन है? नैगमव्यवहारनय सम्मत भंगसमुत्कीर्तनता से भंगोपदर्शनता की जाती है।
ममत्कीर्तनता से भंगोपदर्शनता की जाती है।
(११०) __ (स) भंगोपदर्शनता से किं तं गमववहाराणं भंगोवदंसणया?
णेगमववहाराणं भंगोवदंसणया-तिसमयट्टिइए आणुपुव्वी १ एगसमयट्टिइए अणाणुपुव्वी २ दुसमयट्टिइए अवत्तव्वए ३ तिसमयट्टिइयाओ आणुपुव्वीओ ४ एगसमयट्टिइयाओ अणाणुपुव्वीओ५ दुसमयट्टिइयाणं अवत्तव्वगाई।
अहवा तिसमयट्टिइए य एगसमयट्टिइए य आणुपुव्वी य अणाणुपुव्वी य एवं तहा दव्वाणुपुव्वीगमेणं छव्वीसं भंगा भाणियव्वा जाव सेत्तं गमववहाराणं भंगोवदंसणया।
भावार्थ - नैगम व्यवहारनय सम्मत भंगोपदर्शनता का क्या स्वरूप है?
नैगम व्यवहारनय सम्मत भंगोपदर्शनता का स्वरूप इस प्रकार है - १. त्रिसमयस्थितियुक्त द्रव्य आनुपूर्वी २. एक समयस्थितियुक्त द्रव्य अनानुपूर्वी ३. द्विसमयस्थितियुक्त द्रव्य अवक्तव्य
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