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अनुयोगद्वार सूत्र
गाथा - १. सत्पदप्ररूपणता २. द्रव्यप्रमाण ३. क्षेत्र ४. स्पर्शना ५. काल ६. अंतर ७. भाग ८. भाव एवं ६. अल्पबहुत्व॥१॥
णेगमववहाराणं आणुपुव्वी दव्वाइं किं अत्थि णत्थि? णियमा तिण्णि वि अत्थि। भावार्थ - नैगम-व्यवहार सम्मत आनुपूर्वी द्रव्यों का क्या अस्तित्व है या नहीं? नियमतः तीनों ही द्रव्य हैं। णेगमववहाराणं आणुपुव्वीदव्वाइं किं संखिजाइं? असंखिजाइं? अणंताई? णो संखिजाई, णियमा असंखिजाई, णो अणंताई। एवं दुण्णि वि। . भावार्थ - नैगमव्यवहारानुरूप आनुपूर्वी द्रव्य क्या संख्यात, असंख्यात, अनंत हैं? (वे) न संख्यात हैं और न अनंत हैं, (वरन्) नियमतः असंख्यात हैं। यही तथ्य शेष दोनों (अनानुपूर्वी एवं अवक्तव्य) के संदर्भ में ज्ञातव्य है।
णेगमववहाराणं आणुपुत्वीदव्वाइं लोगस्स किं संखिजइभागे होजा? .. असंखिजइभागे होजा? संखेजेसु भागेसु होजा? असंखेजेसु भागेसु होजा? सव्वलोए होजा?
एगंदव्वं पडुच्च संखिज्जइभागे वा होजा, असंखिज्जइभागे वा होजा, संखेजेस भागेसु वा होजा, असंखेजेसु भागेसु वा होजा, (प)देसूणे वा लोए होजा। णाणादव्वाइं पडुच्च णियमा सव्वलोए होज्जा। (आए संतरेण वा सव्वपुच्छासु होजा) एवं अणाणुपुव्वीदव्वाणि अवत्तव्वगदव्वाणि वि जहा खेत्ताणुपुव्वीए। एवं फुसणा कालाणुपुव्वीए वि तहा चेव भाणियव्वा।
भावार्थ - नैगम-व्यवहारनयानुरूप आनुपूर्वी (अनेक) द्रव्य क्या लोक के संख्यात भाग में होते हैं? असंख्यात भाग में होते हैं? संख्यात भागों में होते हैं? असंख्यात भागों में होते हैं? (या) सर्वलोक में होते हैं?
एक द्रव्य की प्रतीति से वे लोक के संख्यात भाग में होते हैं अथवा असंख्यात भाग में होते हैं अथवा संख्यात भागों में होते हैं या असंख्यात भागों में होते हैं या देश कम लोक में होते हैं। अनेक द्रव्यों की अपेक्षा से वे नियम से समस्त लोक में होते हैं। (आदेश या संदर्भ के अंतर से सभी प्रश्नों पर यह विधि लागू है।)
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