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________________ ६४ अनुयोगद्वार सूत्र ___भंगसमुत्कीर्तनता का प्रयोजन से किं तं संगहस्स भंगसमुक्कित्तणया? संगहस्स भंगसमुक्कित्तणया - अत्थि आणुपुव्वी १ अस्थि अणाणुपुव्वी २ अत्थि अवत्तव्वए ३ अहवा अत्थि आणुपुव्वी य अणाणुपुव्वी य ४ अहवा अस्थि आणुपुव्वी य अवत्तव्वए य ५ अहवा अस्थि अणाणुपुव्वी य अवत्तव्वए य ६ अहवा अस्थि आणुपुव्वी य अणाणुपुव्वी य अवत्तव्वए य ७ एवं सत्तभंगा। सेत्तं संगहस्स भंगसमुक्कित्तणया। भावार्थ - संग्रहनय की भंगसमुत्कीर्तनता का कैसा स्वरूप है? संग्रहनय सम्मत भंगसमुत्कीर्तनता - १. आनुपूर्वी २. अनानुपूर्वी एवं ३. अवक्तव्य रूप है अथवा ४. आनुपूर्वी अनानुपूर्वी अथवा ५. आनुपूर्वी - अवक्तव्य अथवा ६. अनानुपूर्वी - अवक्तव्य रूप है, अथवा ७. आनुपूर्वी - अनानुपूर्वी - अवक्तव्य रूप है। ये सात भंगों का विवेचन हैं। संग्रहनयानुरूप भंगसमुत्कीर्तना का यह स्वरूप है। एयाए णं संगहस्स भंगसमुक्कित्तणयाए किं पओयणं? एयाए णं संगहस्स भंगसमुक्कित्तणयाए संगहस्स भंगोवदंसणया कीरइ। भावार्थ - इस संग्रहनयानुरूप भंगसमुत्कीर्तनता का क्या प्रयोजन है? इस संग्रहनय सम्मत भंगसमुत्कीर्तनता से भंगोपदर्शनता की जाती है। विवेचन - उपर्युक्त सूत्रों में भंग शब्द के साथ समुत्कीर्तना एवं उपदर्शनता - इन दो शब्दों का प्रयोग हुआ है। समुत्कीर्तनता का प्रयोजन उपदर्शनता बतलाया गया है। समुत्कीर्तन में सम् एवं उत् उपसर्ग तथा कीर्तन शब्द हैं। 'सम' का अर्थ सम्यक्, 'उत्' का अर्थ उत्कृष्ट या विशद तथा कीर्तन का अर्थ कथन है। किसी विषय का भलीभांति प्रतिपादन किया जाना समुत्कीर्तन है। 'उपदर्शन' में आया 'उप' उपसर्ग सामीप्य का बोधक है। 'दर्शन' शब्द दृश् धातु से बना है। दृश प्रेक्षणे के अनुसार यह धातु प्रेक्षण के अर्थ में है। 'प्रकृष्टं ईक्षणं प्रेक्षणम्' - सूक्ष्मता से किसी विषय में अवगाहन करना, उसे देखना दर्शन है। समुत्कीर्तन और उपदर्शन में कारण-कार्य Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004183
Book TitleAnuyogdwar Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2005
Total Pages534
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_anuyogdwar
File Size9 MB
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