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समवाय १४
विवेचन - यहाँ अपेक्षा से जीव के चौदह भेद बतलाये गये हैं। मूल में शास्त्रकार ने 'भूयग्गामा' शब्द दिया है। 'भूत' का अर्थ जीव और 'ग्राम' का अर्थ है समूह । तात्पर्य यह है कि - जीवों के समूह को 'भूतग्राम' कहते हैं । जीव के अनेक पर्यायवाची शब्द हैं। भूत शब्द की व्युत्पत्ति इस प्रकार की है
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'भूताः, अभूवन, भवन्ति, भविष्यन्ति इति भूताः " अर्थात् भूत काल में जो थे वर्तमान हैं और भविष्यत् काल में रहेंगे, उन्हें भूत कहते हैं । चार शब्द विशेष प्रचलित है प्राण, भूत, जीव, सत्त्व । जिनका अर्थ इस प्रकार किया गया है।
प्राणाः द्वित्रिचतुः प्रोक्ता, भूतास्तु सर्वः स्मृता ।
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जीवाः पञ्चेन्द्रियाः प्रोक्ता शेषा सत्त्वा उदीरिताः ॥
अर्थात् - बेइन्द्रिय तेइन्द्रिय चौरिन्द्रिय को प्राण, वनस्पति को भूत, पञ्चेन्द्रिय को जीव और पृथ्वीकाय अप्काय तेउकाय वायुकाय को सत्त्व कहा गया है।
सात प्रकार के जीवों के अपर्याप्त और पर्याप्त के भेद से १४ भेद किये गये हैं। पर्याप्ति छह प्रकार की कही गई है। यथा आहार पर्याप्ति, शरीर पर्याप्ति, इन्द्रिय पर्याप्ति, श्वासोच्छ्वास पर्याप्ति, भाषा पर्याप्ति, मनः पर्याप्ति ।
आहारादि के लिये पुद्गलों को ग्रहण करने तथा उन्हें आहार, शरीर आदि रूप में परिणमाने की आत्मा की शक्ति विशेष को पर्याप्ति कहते हैं । यह शक्ति पुद्गलों के उपचय से होती है।
जिस जीव में जितनी पर्याप्तियाँ सम्भव हैं उतनी पर्याप्तियाँ पूरी बांध लेने पर वह पर्याप्तक कहलाता है। एकेन्द्रिय जीव अपने योग्य (आहार, शरीर, इन्द्रिय और श्वासोच्छ्वास) चार पर्याप्तियाँ पूरी कर लेने पर पर्याप्तक कहे जाते हैं। इसी प्रकार द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय और असंज्ञी पञ्चेन्द्रिय जीव उपरोक्त पांचों पर्याप्तियों के साथ छठी मनः पर्याप्ति पूरी कर लेने पर पर्याप्तक कहे जाते हैं। कोई भी जीव आहार, शरीर और इन्द्रिय इन तीन पर्याप्तियों को पूर्ण किये बिना नहीं मर सकता क्योंकि इन तीन पयाप्तियों के पूर्ण होने पर ही (चौथी पर्याप्ति अधूरी रह सकती है) आगामी भव की आयु का बन्ध होता है।
जिन जीवों के सूक्ष्म नाम कर्म का उदय है वे 'सूक्ष्म' कहलाते हैं और जिन जीवों के बादर नाम कर्म का उदय है, वे 'बादर' कहलाते हैं। ये दो भेद एकेन्द्रिय जीवों में ही होते हैं। बेइन्द्रियादि जीवों में सूक्ष्म भेद नहीं होता है।
यहाँ पर कर्म विशुद्धि की अपेक्षा जीव स्थान चौदह कहे हैं। कर्मग्रंथ में इन जीव
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