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समवायांग सूत्र
'इच्छामि खमासमणो' के पाठ से दो बार की जाती है। इच्छामि खमासमणो के पाठ से वंदन के २५ आवश्यक की निम्न विधि प्रचलित है - खड़े होकर दोनों हाथ जोड़ कर 'इच्छामि खमासमणो' का पाठ प्रारंभ करे। 'अणुजाणह मे मिउग्गहं' शब्द आवे उस समय कुछ आगे झुक कर मस्तक नमाना (यह पहला अवनत हुआ) फिर 'निसीहि' शब्द बोलते हुए उत्कुटुक (यथाजात) आसन से बैठे। (यह गुरु महाराज के अवग्रह में पहला प्रवेश हुआ)। दोनों कोहनियों को घुटने के बीच में रखे, अंजलि-बद्ध दोनों हाथ मस्तक पर रख कर सिर झुकाते हुए निम्नानुसार आवर्तन • करें। 'अ' बोल कर अंजलि को दायें हाथ की तरफ से मस्तक की ओर घुमा कर बायें हाथ की तरफ लावें बाद में मस्तक पर अंजलि लगाते हुए 'हो' ऐसा बोले। इस प्रकार प्रथम आवर्तन हुआ। इस प्रकार अन्य आवर्तन भी करें। प्रथम के तीन आवर्तन 'अहो' 'कायं' 'काय' इस प्रकार दो-दो अक्षरों का उच्चारण करने से होता है। इसके बाद 'संफासं' बोलते हुए गुरु चरणों के स्पर्श के प्रतीक के रूप में दोनों हाथों से या मस्तक से जमीन का स्पर्श करे (यह चउसिरं में से पहला शिर हुआ) तत्पश्चात् दोनों हाथों को जोड़ कर मस्तक पर लगाते हुए 'खमणिजो' से लेकर 'दिवसो' 'वइक्कंतो' तक का पाठ बोले। तत्पश्चात् 'ज' 'त्ता' 'भे', 'ज' 'व' 'णि', 'जं' 'च' 'भे' इस प्रकार तीन तीन अक्षरों का उच्चारण करते हुए तीन आवर्तन करें। उसके बाद 'खामेमि खमासमणो' बोलते हुए गुरु चरणों के स्पर्श के प्रतीक के रूप में दोनों हाथों से या मस्तक से जमीन का स्पर्श करे। (यह द्वितीय शिर हुआ) फिर दोनों हाथों को जोड़ कर मस्तक पर लगा कर 'खामेमि' से 'वइक्कम' तक पाठ बोले और 'आवस्सियाए पडिक्कमामि' बोलता हुआ खड़ा होवे (यह एक निष्क्रमण हुआ) और शेष पाठ (पडिक्कमामि से अप्पाणं वोसिरामि तक) पूरा करें। (इस प्रकार प्रथम खमासमणो में एक अवनत, एक प्रवेश, यथाजात, छह आवर्तन, दो शिर, एक निष्क्रमण और तीन गुप्तियाँ हुई) इसी प्रकार दूसरी बार इच्छामि खमासमणो की विधि करें किन्तु इसमें 'आवस्सियाए पडिक्कमामि' ये दस अक्षर नहीं कहें तथा यहाँ पर खड़े न हो कर बैठे बैठे गुरु के अवग्रह में ही पूरा पाठ समाप्त करे। (इस प्रकार दूसरे खमासमणो में एक अवनत, एक प्रवेश, छह आवर्तन दो शिर होते हैं तथा यथाजात व तीन गुप्तियाँ दोनों खमासमणो में समुच्चय होती है।) दोनों खमासमणो में मिला कर ये पच्चीस आवश्यक होते हैं।
. पूज्य श्री घासीलालजी म. सा. ने भी आवश्यक की टीका में आवर्तन की यही विधि दी है।
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