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बारह अंग सूत्र
३५१ wwwmINITINATrendianwww w wwwwwwwwwwwwANAMAINTAININA अक्खरा, अणंता गमा, अणंता पज्जवा परित्ता तसा अणंता थावरा सासया कडा णिबद्धा णिकाइया जिण पण्णत्ता भावा आघविजंति पण्णविजंति परूविजंति दंसिज्जति णिदेसिज्जति उवदंसिज्जति । एवं णाया एवं विण्णाया एवं चरणकरणपरूवणया आघविजंति । से तं दिट्ठिवाए । से तं दुवालसंगे गणिपिडगे ॥१२॥
भावार्थ - दृष्टिवाद की परित्ता-परिमित वाचना है। संख्याता अनुयोगद्वार हैं। संख्याता प्रतिपत्तियाँ हैं, संख्याता नियुक्तियाँ हैं, संख्याता श्लोक हैं, संख्याता संग्रहणी गाथाएं हैं। यह दृष्टिवाद अङ्गों की अपेक्षा बारहवाँ अङ्ग है, इसका एक श्रुतस्कन्ध है, चौदह पूर्व हैं, संख्याता वस्तु हैं, संख्याता चूल वस्तु (चूलिका वस्तु) हैं, संख्याता प्राभृत हैं, संख्याता प्राभृतप्राभृत हैं, संख्याता प्राभृतिका हैं, संख्याता प्राभृतप्राभृतिकाएं हैं। प्रत्येक पद की गिनती की अपेक्षा संख्याता लाख पद हैं। संख्याता अक्षर हैं। अनंता गमा यानी बोधमार्ग हैं, अनन्त पर्याय हैं, परिमित त्रस हैं, अनन्त स्थावर हैं। श्री तीर्थङ्कर भगवान् के द्वारा कहें हुए ये पदार्थ द्रव्य रूप से शाश्वत हैं,
पर्याय रूप से कृत यानी अनित्य हैं, निबद्ध यानी सूत्र रूप में गूंथे हुए हैं, निकाचित यानी . नियुक्ति, हेतु, उदाहरण द्वारा भली प्रकार कहे गये हैं। दृष्टिवाद सूत्र के ये भाव तीर्थङ्कर
भगवान् के द्वारा सामान्य और विशेष रूप से कहे जाते हैं। नामादि के द्वारा कथन किये जाते हैं, स्वरूप के द्वारा बतलाये जाते हैं, उपमा आदि के द्वारा दिखलाये जाते हैं। हेतु दृष्टान्त आदि के द्वारा विशेष रूप से दिखलाये जाते हैं, उपनय, निगमन के द्वारा अथवा सम्पूर्ण नयों के अभिप्राय द्वारा बतलाये जाते हैं। इस प्रकार दृष्टिवाद सूत्र को पढने से पुरुष ज्ञातास्वसिद्धान्त के ज्ञाता होते हैं, विज्ञाता-परसिद्धान्त के ज्ञाता होते हैं। इस प्रकार चरणसत्तरि करणसत्तरि आदि की प्ररूपणा से दृष्टिवाद सूत्र के भाव कहे जाते हैं। यह दृष्टिवाद का कथन सम्पूर्ण हुआ। यह गणिपिटक अर्थात् आचार्य एवं साधु के लिए रत्न करण्ड के समान द्वादशाङ्ग-बारह अङ्ग सूत्रों का कथन सम्पूर्ण हुआ ॥ १२ ॥
- विवेचन - अङ्ग सूत्र बारह हैं। बारहवें अङ्ग सूत्र का नाम दृष्टिवाद है। यह सम्पूर्ण दृष्टिवाद तीर्थङ्कर के दो पाट तक ही चलता है। पूर्वो का ज्ञान तो पीछे भी चलता है। पूर्व के विभाग रूप २२५ वस्तुएँ हैं और ३४ चूलिका वस्तुएँ हैं। संख्यात पद हैं अर्थात् ८३ करोड़ २६ लाख ८० हजार और ५ पद हैं (८३२६८०००५)। नियुक्ति, हेतु आदि शब्दों का अर्थ पहले स्पष्ट कर दिया गया है। .
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