________________
४०२
उत्तराध्ययन सूत्र - छतीसवाँ अध्ययन coommomcommOOOOOOOOOOOOOOOOOOctooreoveNORNOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOK
उत्तर - इस रत्नप्रभा पृथ्वी का पहला रत्नकाण्ड है। जो हजार योजन का है। उसमें से एक सौ योजन ऊपर और एक सौ योजन नीचे छोड़ कर बीच के ८०० योजन तिरछा लोक में वाणव्यंतर देवों के असंख्यात नगर और आवास हैं।
. ज्योतिषी देव चंदा सूरा य णक्खत्ता, गहा तारागणा तहा। ठिया विचारिणो चेव, पंचहा जोइसालया॥ २११॥
कठिन शब्दार्थ - चंदा - चन्द्र, सूरा - सूर्य, णक्खत्ता - नक्षत्र, गहा - ग्रह, तारागणा - तारागण, ठिया - स्थिर, विचारिणो - विचारी-चर, जोइसालया - ज्योतिषालय।
भावार्थ - चन्द्र, सूर्य, नक्षत्र, ग्रह और तारागण, ये पांच प्रकार के ज्योतिषालय-ज्योतिषी देव हैं। ये स्थिर और विचारी - चर, दो प्रकार के हैं (ढाई द्वीप के बाहर के ज्योतिषी देव स्थिर हैं और ढाई द्वीप के अन्दर के ज्योतिषी देव चर हैं। वे सदैव मेरु पर्वत की प्रदक्षिणा करते हुए गति करते रहते हैं)। - विवेचन - प्रश्न - ज्योतिषी देव किसे कहते हैं?
उत्तर - ज्योति का अर्थ है प्रकाश, चमक। जिन देवों के विमान प्रकाश युक्त हैं, उन विमानों में रहने वाले देवों को ज्योतिषी देव कहते हैं। इनके दो भेद हैं - चर (चलने वाले) और अचर (स्थिर)।
दो समुद्र और अढ़ाई द्वीप के ज्योतिषी चर हैं। अढ़ाई द्वीप के बाहर असंख्य ज्योतिषी देव हैं, वे सब अचर हैं।
प्रश्न - ज्योतिषी देवों के कितने भेद हैं? । उत्तर - ज्योतिषी देवों के पांच भेद हैं - चन्द्र, सूर्य, ग्रह, नक्षत्र एवं तारा।
जम्बूद्वीप में दो चन्द्र, दो सूर्य, छप्पन नक्षत्र, एक सौ छहत्तर ग्रह और एक लाख तेतीस हजार नौ सौ पचास कोड़ाकोड़ी तारे हैं। लवण समुद्र में चार, धातकी खण्ड द्वीप में बारह, कालोदधि में ४२ और अर्द्ध पुष्करद्वीप में ७२ चन्द्र हैं। इन क्षेत्रों में सूर्य की संख्या भी चन्द्र के समान है। इस प्रकार अढ़ाई द्वीप में १३२ चन्द्र और १३२ सूर्य हैं। एक चन्द्र का परिवार २८ नक्षत्र, ८८ ग्रह और ६६६७५ कोड़ाकोड़ी तारे हैं। इस प्रकार अढ़ाई द्वीप में इनसे १३२ गुणा ग्रह, नक्षत्र और तारा हैं। ये सब ज्योतिषी मेरु पर्वत की प्रदक्षिणा करते हुए चलते रहते हैं। इनको
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org