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जीवाजीव विभक्ति - पृथ्वीकाय का निरूपण
पुढवीय सक्करा वालुया य, उवले सिला य लोणूसे । अयतंब तउय सीसग, रुप्पसुवण्णे य वइरे य ॥७४॥ हरियाले हिंगुलुए, मणोसिला सासगंजण - पवाले । अब्भपडलब्भवालुय, बायरकाए मणिविहाणा ॥ ७५ ॥ गोमेज्जए य रुयगे, अंके फलिहे य लोहियक्खे य । मरगय-मसारगल्ले, भुयमोयग - इंदणीले य ॥७६॥ चंदणगेरुय - हंसगब्भे, पुलए सोगंधिए य बोधव्वे । चंदप्पहवेरुलिए, जलकंते सूरकंते य ॥७७॥
सक्करा
कठिन शब्दार्थ शर्करा, वालुया - बालुका, उवले शिला, लोण लवण, ऊसे - ऊस, अय लोहा, तंब - ताम्बा, तउय सीसा, रुप्प हिंगलू, मणोसिला
वज्र, हरियाले
रूपा, सुवणे - सुवर्ण, वइरे मनःशिला, सासग - सासग, अंजण - अंजन, पवाले
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प्रवाल,
अब्भपडल
रुचक, अंके
अभ्रपटल, अब्भवालुय अभ्रवालुका, बायरकाए बादर पृथ्वीका के, मणिविहाणा मणियों के भेद, गोमेज्जए - गोमेदक, रुयगे अंक, फलिहे - स्फटिक, लोहियक्खे - लोहिताक्ष, मरगय मसारगल्ले मरकत, भुयमोयग - भुजमोचक, इंदणीले इन्द्रनील, चंदणगेरुय-हंसगब्भे - चंदन रत्न, गेरु रत्न, हंसगर्भ रत्न, पुलए पुलक, सोगंधिए - सौगंधिक, चंदप्पहवेरुलिए चन्द्रप्रभवैडूर्य, जलकंते - जलकांत, सूरकंते - सूर्यकांत ।
मसारगल्ल,
भावार्थ खर पृथ्वी के ३६ भेद इस प्रकार हैं
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ऊपल,
सिला
त्रपुक, सीसग
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हरताल, हिंगुलुए
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३६७
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१. शुद्ध पृथ्वी ( खान की मिट्टी) २. शर्करा (कंकरीली मिट्टी, मुरड़ आदि ) ३. बालुका (नदी आदि की रेत ) ४. उपल (पाषाण) ५. शिला ६. लवण ७. ऊस (खारी मिट्टी) ८. लोहा ६. ताम्बी १०. त्रपुक - कथीर अथवा रांगा ११. सीसा १२. रूपा (चांदी) १३. सुवर्ण- सोना १४. वज्र ( हीरा) १५. हरताल १६. हिंगलू १७. मनःशिला (मेनसिल) १८. सासग (जस्त) १६. अंजन ( सुरमा) २०. प्रवाल (मूंगा) २१. अभ्रपटल (भोडल) २२. अभ्रवालुका ( भोडल सहित बालुका), ये भेद बादर पृथ्वीकाय के हैं। अब मणियों के भेद कहे जाते हैं, वे भी पृथ्वीकाय के अन्तर्गत हैं २३. गोमेदक २४. रुचक २५. अंक २६. स्फटिक २७. लोहिताक्ष २८. मरकत मणि २६. मसारगल्ल मणि ३०. भुजमोचक ३१. इन्द्रनील ३२. चन्दन रत्न, गेरु रत्न, हंसगर्भ रत्न ३३. पुलक रत्न,
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