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जीवाजीव विभक्ति - रूपी अजीव का निरूपण
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कठिन शब्दार्थ - संतई - संतति (प्रवाह) की, पप्प - अपेक्षा, आएसं - आदेश (प्रतिनियत व्यक्तिरूप एक-एक समय), साइए - सादि, सपज्जवसिए - सपर्यवसित।
भावार्थ - समय-काल-द्रव्य भी सन्तति (प्रवाह) की अपेक्षा इसी प्रकार (अनादि अनन्त) कहा गया है और आदेश (किसी अमुक कार्य) की अपेक्षा सादि और सपर्यवसित (सान्त) भी है।
विवेचन - जिसकी आदि (प्रारम्भ) हो, उसको 'सादि' कहते हैं और जिसका अन्त समाप्ति भी हो, उसे 'सान्त' कहते हैं। ..
रूपी अजीव का निरूपण खंधा य खंधदेसा य, तप्पएसा तहेव य। परमाणुणो य बोद्धव्वा, रूविणो य चउव्विहा॥१०॥
कठिन शब्दार्थ - खंधा - स्कन्ध, खंधदेसा - स्कंध देश, परमाणुणो - परमाणु, 'बोद्धव्वा - जानने चाहिये।
भावार्थ - स्कन्ध, स्कन्ध का देश, स्कन्ध का प्रदेश और परमाणु पुद्गल, ये चार भेद रूपी द्रव्य के जानने चाहिए।
विवेचन - किसी भी सम्पूर्ण द्रव्य के पूर्ण रूप का नाम 'स्कंध' है। स्कंध के किसी एक कल्पित विभाग को 'देश' कहते हैं तथा स्कंध का एक अतिसूक्ष्म अविभाज्य अंश 'प्रदेश' मा परमाणु कहलाता है। परमाणु जब तक स्कंध से जुड़ा रहता है तब उसे 'प्रदेश' कहते हैं जब वह स्कंध से पृथक् रहता है तब ‘परमाणु' कहलाता है।
एगत्तेण पुहुत्तेण, खंधा य परमाणु य।
लोएगदेसे लोए य, भइयव्वा ते उ खेत्तओ॥११॥ ___कठिन शब्दार्थ - एगत्तेण - एकत्व रूप होने से, पुहुत्तेण - पृथक् रूप होने से, भइयव्वा - भजना समझनी चाहिये।
भावार्थ - एकत्व - परमाणुओं के परस्पर मिलने से स्कन्ध बनता है और पृथक्-पृथक् रहने पर परमाणु कहलाता है। क्षेत्र की अपेक्षा वे लोक के एक देश में हैं और समस्त लोकव्यापी हैं, यहाँ भजना समझनी चाहिए।
विवेचन - प्रश्न - परमाणु किसे कहते हैं? . उत्तर - सत्येण सुतिवखेण वि, छित्तुं भेत्तुं च जं किर न सका।
तं परमाणुं सिद्धा वयंति आइम पमाणाणं॥१॥ (अनुयोगद्वार)
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