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. उत्तराध्ययन सूत्र - उनतीसवाँ अध्ययन ... ColorOSINOOOOOOOOOOOOOOOOOOOGooooommecomesO0000000000000000 अकिंचनता प्राप्त कर लेता है। अकिंचन - धनादि द्रव्य रहित होने से धनलोलुप, चोर या याचक आदि उससे कोई याचना - मांग नहीं करते और उसे किसी प्रकार की चिंता या मांगने की प्रार्थना नहीं करनी पड़ती। .
४८. आवता अज्जवयाए णं भंते! जीवे किं जणयइ? भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! आर्जवता (सरलता) से जीव को क्या लाभ होता है?
अज्जवयाए णं काउज्जुययं भावुज्जुययं भासुज्जुययं अविसंवायणं जणयइ, अविसंवायणसंपण्णयाए णं जीवे धम्मस्स आराहए भवइ॥४॥ ___ कठिन शब्दार्थ - अज्जवयाए - आर्जवता-सरलता से, काउन्जुययं - काया की सरलता, भावुज्जुययं - भावों की सरलता, भासुज्जुययं - भाषा की सरलता, अविसंवायणंअविसंवादन को, धम्मस्स आराहए - धर्म का आराधक।
• भावार्थ - उत्तर - ऋजुता-सरलता (निष्कपटता) से जीव को काया की ऋजुता, भाव की ऋजुता, भाषा की ऋजुता और अविसंवादन भाव की प्राप्ति होती है अर्थात् ऐसा सरल जीव किसी के साथ ठगाई नहीं करता। अविसंवादन सम्पन्नता रूप भाव को प्राप्त हुआ (किसी को न ठगने वाला) जीव धर्म का आराधक होता है। "विवेचन - आर्जवता - सरलता से जीव निम्न प्रकार की वक्रता से रहित होता है - 1. काय वक्रता - कुब्जादि वेष या बहुरूपिया आदि वेष बना कर लोगों को हंसाना
कायवक्रता है।
२. भाव वक्रता - मन में कुछ और वचन में कुछ और भाव होना भाववक्रता है। . ३. भाषा वक्रता - उपहास के लिए अन्य देशों की भाषा बोलना या वचन से फुसला बहका कर ठगना, धोखा देना - भाषा वक्रता है।
४. विसंवादिता वंचकता - लोगों को ठगना, वंचना करना विसंवादिता वंचकता है।
निष्कपटता से जीव काया, भाव और भाषा तीनों से सरल - अवक्र होता है तथा उसमें अविसंवादिता - पूर्वापर विरोध का अभाव या अवंचकता होती है। अवंचक भाव से जीव धर्म का आराधक हो जाता है।
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