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सामाचारी - सामाचारी के दस भेद
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सामाचारी के दस भेद पढमा आवस्सिया णामं, बिझ्या य णिसीहिया। .. आपुच्छणा य तइया, चउत्थी पडिपुच्छणा ॥२॥ पंचमी छंदणा णाम, इच्छाकारो य छट्ठओ। सत्तमो मिच्छाकारों य, तहक्कारो य अट्ठमो॥३॥ अब्भुट्ठाणं च णवमं, दसमी उवसंपया। एसा दसंगा साहूणं, सामायारी पवेइया॥४॥
कठिन शब्दार्थ - आवस्सिया - आवश्यकी, णिसीहिया - नैषिधिकी, आपुच्छणाआपृच्छना, पडिपुच्छणा - प्रतिपृच्छना, छंदणा णाम - छन्दना नाम की, इच्छाकारो -- इच्छाकार, मिच्छाकारो - मिथ्याकार, तहक्कारो - तथाकार, अब्भुट्टार्णः - अभ्युत्थान, उवसंपया - उवसम्पदा, दसंगा - दश अंगों वाली, साहूणं - साधुओं की, पवेड्या कहीं है। . भावार्थ - अब दस समाचारी के नाम कहे जाते हैं। यथा - पहली आवकी नाम वाली है और दूसरी नैषेधिकी, तीसरी आपृच्छना और चौथी प्रतिपृच्छना है। पांचवीं बदना नाम की और छठी इच्छाकार और सातवीं मिथ्याकार और आठवीं तथाकार है। नवमी अभ्युत्थान और दसवीं उपसंपदा है। यह साधुओं की दस प्रकार की समाचारी तीर्थंकर भगवान् ने फरमाई है।
विवेचन - उपर्युक्त गाथाओं में जो दस प्रकार की सामाचारी के नाम बताए गये हैं, वे नाम अनानुपूर्वी के क्रम से समझने चाहिए। पूर्वानुपूर्वी का क्रम तो अनुरोग-द्वार सूत्र में 'सामाचारी आनुपूर्वी' के वर्णन में दिया गया है, उस प्रकार से समझना चाहिए।
सामाचारी का प्रयोजन । गमणे आवस्सियं कुज्जा, ठाणे क्रुज्जा णिसीहियन.. आपुच्छणा सयंकरणे, परकरणे पडिपुच्छणा॥५॥ . .
कठिन शब्दार्थ - गमणे - गमन करते समय, आवस्सियं - आवश्यकी, कुजा - करे, ठाणे - स्थान में, णिसीहियं - नैषेधिकी,आपुच्छणा - आपृच्छना, सर्वकरणे - अपना कार्य करने में, परकरणे - दूसरों के कार्य करने में, पडिपुच्छणा - प्रतिपृच्छना।
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