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सप्तम् वक्षस्कार - मास, पक्ष आदि
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एयासि णं भंते! पण्णरसण्हं राईणं कइ तिही पण्णत्ता?
गोयमा! पण्णरस तिही पण्णत्ता, तंजहा-उग्गवई भोगवई जसवई सव्वसिद्धा सुहणामा, पुणरवि उग्गवई भोगवई जसवई सव्वसिद्धा सुहणामा, पुणरवि उग्गवई भोगवई जसवई सव्वसिद्धा सुहणामा, एवं तिगुणा एए तिहीओ सव्वेसिं राईणं,
एगमेगस्स णं भंते! अहोरत्तस्स कइ मुहत्ता पण्णत्ता? गोयमा! तीसं मुहुत्ता पण्णत्ता, तंजहारुद्दे सेए मित्ते वाउ सुबीए तहेव अभिचंदे। माहिंद बलव बंभे बहुसच्चे चेव ईसाणे॥१॥ तट्टे य भावियप्पा वेसमणे वारुणे य आणंदे। विजए य वीससेणे पायावच्चे उवसमे य॥२॥ गंधव्व अग्गिवेसे सयवसहे आयवे य अममे य। अणवं भोमे वसहे सव्वढे रक्खसे चेव। भावार्थ - हे भगवन्! प्रत्येक संवत्सर में कितने मास कहे गए हैं?
हे गौतम! प्रत्येक संवत्सर में बारह मास बतलाए गए हैं। उनके लौकिक तथा लोकोत्तर के रूप में दो तरह के नाम अभिहित हुए हैं - १. लौकिक २. लोकोत्तर।
इनमें लौकिक नाम इस तरह हैं : १. श्रावण, २. भाद्रपद तथा ३. आषाढ़ आदि।
लोकोत्तर नाम इस प्रकार हैं - १. अभिनंदित २. प्रतिष्ठित ३. विजय ४. प्रीतिवर्द्धन ५. श्रेयस् ६. शिव ७. शिशिर ८. हिमवान् ६. बसंतमास १०. कुसुमसंभव ११. निदाघ और १२. वन विरोह।
हे भगवन्! प्रत्येक मास में कितने पक्ष अभिहित हुए हैं? हे गौतम! प्रत्येक मास में कृष्ण एवं शुक्ल - दो पक्ष अभिहित हुए हैं। हे भगवन्! प्रत्येक पक्ष में कितने दिन कहे गए हैं? हे गौतम! प्रत्येक पक्ष के १५ दिन कहे गए हैं - प्रतिपदा, द्वितीया यावत् पंचदसी (पंचदशी) दिवस - अमावस्या या पूर्णिमा का दिन।
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