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जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र
हंता गोयमा! तं चेव जाव दीसंति।
जम्बुद्दीवे णं भंते! दीवे सूरिया उग्गमणमुहुत्तंसि य मज्झंतियमुहुत्तंसि य अत्थमणमुहत्तंसि य सव्वत्थ समा उच्चत्तेणं? हंता तं चेव जाव उच्चत्तेणं।
जइ णं भंते! जम्बुद्दीवे दीवे सूरिया उग्गमणमुहत्तंसि य मज्झं० अत्थ० सव्वत्थ समा उच्चत्तेणं कम्हा णं भंते! जम्बुद्दीवे दीवे सूरिया उग्गमणमुहुत्तंसि दूरे य मूले य दीसंति०?
गोयमा! लेसापडिघाएणं उग्गमणमुहुत्तंसि दूरे य मूले य दीसंति लेसाहितावेणं मज्झंतियमुहुत्तंसि मूले य दूरे य दीसंति लेसापडिघाएणं अत्थमणमुहत्तंसि दूरे य मूले य दीसंति, एवं खलु गोयमा! तं चेव जाव दीसंति।
शब्दार्थ - उग्गमणमुहुत्तंसि - उदयकाल, मज्झंतिय - मध्याह्न काल, अस्थमण - अस्तमन-छिपने का समय, पडिघाएणं - प्रतिघात से, अहितावेणं - अभिताप से।
भावार्थ - हे भगवन्! क्या जंबूद्वीप में सूर्य (दो) उदयकाल में स्थानापेक्षया दूर होते हुए भी देखने वाले की प्रतीति की अपेक्षा से मूल-समीप दिखाई देते हैं? मध्याह्न काल में समीप होते हुए भी क्या दूर दिखाई देते हैं? छिपने के समय में वे दूर होते हुए भी नजदीक दिखाई देते हैं? . . .
हाँ, गौतम! वे वैसे ही यावत् दिखाई देते हैं।
हे भगवन्! जंबूद्वीप में सूर्य उदय, मध्याह्न एवं अस्तमन के समय क्या सर्वत्र एक जैसी ऊँचाई लिए होते हैं?
हाँ, गौतम! वे एक सदृश यावत् ऊँचाई लिए रहते हैं।
हे भगवन्! यदि जम्बूद्वीप में सूर्य उदय के समय, मध्याह्न के समय, छिपने के समय सर्वत्र समान ऊँचाई लिए होते हैं तो उदयकाल से दूर होते हुए भी समीप क्यों दिखाई देते हैं, मध्याह्न के समय समीप होते हुए भी दूर क्यों दिखाई देते हैं तथा अस्तमन के समय दूर होते हुए भी समीप क्यों दिखाई देते हैं?
' हे गौतम! लेश्या-तेज के प्रतिघात से उदयकाल में सूर्य दूर होते हुए भी नजदीक दिखाई देते हैं। मध्याह्न काल में लेश्या के अभिताप से निकट होते हुए भी सूर्य दूर दिखाई देते हैं। इसी
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