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सप्तम् वक्षस्कार - मुहूर्तगति
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हे भगवन्! जब सूर्य सर्वाभ्यंतर मंडल से द्वितीय मंडल पर उपसंक्रमण कर गति करता है, तब वह एक-एक मुहूर्त में कितने क्षेत्र को पार करता है? ___हे गौतम! तब वह प्रत्येक मुहूर्त में ५२५१५० योजन क्षेत्र को पार करता है। तब वहाँ स्थित मनुष्यों को ४७१७६३० तथा ६० भागों में बांटे हुए एक योजन के इकसठ भागों में से १६ भाग योजनांश की दूरी से सूर्य दिखाई देता है। वहाँ से निकलता हुआ सूर्य दूसरे अहोरात्र में तृतीय आभ्यंतर मंडल का उपसंक्रमण कर गति करता है।
हे भगवन्! जब सूर्य तृतीय आभ्यंतर मंडल का उपसंक्रमण कर गति करता है तब वह प्रत्येक मुहूर्त में कितना क्षेत्र बांधता है?
हे गौतम! वह ५२५२१. योजन प्रति मुहूर्त गति करता है तब वहाँ स्थित लोगों को वह ४७०६६ २२ योजन तथा साठ भागों में बांटे हुए एक योजन के एक भाग के ६१ भागों में दो भाग योजनांश की दूरी से दिखलाई देता है। - इस क्रम से निष्क्रमण करता हुआ सूर्य पूर्वमंडल से उत्तर मंडल का संक्रमण करता हुआ
योजन मुहूर्त गति वृद्धिंगत करता हुआ एक पुरुष छाया न्यून ८४ योजन की कमी करता हुआ, सर्व बाह्य मंडल का उपसंक्रमण कर गति करता है।
हे भगवन्! जब सूर्य सर्व बाह्य मंडल का उपसंक्रमण कर गति करता है तब वह प्रति मुहूर्त कितना क्षेत्र लांघता है?
हे गौतम! वह प्रतिमुहूर्त ५३०५१२ योजन गमन करता है। - तब वहाँ स्थित लोगों को वह (सूर्य) ३१८३१० योजन की दूरी से दिखलाई पड़ता है। ये प्रथम छह मास हैं। इस प्रकार प्रथम छह मास का समापन करता हुआ सूर्य दूसरे छह मास प्रथम अहोरात्र में, सर्व बाह्य मंडल से द्वितीय बाह्य मंडल पर उपसंक्रमण कर गति करता है।
. हे भगवन्! जब सूर्य द्वितीय बाह्य मंडल पर उपसंक्रमण कर गति करता है तो वह प्रतिमुहूर्त कितना क्षेत्र लांघता है?
हे गौतम! वह ५३०४३० योजन प्रति मुहूर्त गति करता है। तब वहाँ स्थित मनुष्यों को वह ३१९१६२, योजन एवं साठ भागों में बंटे हुए एक योजन के एक भाग के इकसठ भागों में
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