________________
३६४
जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र
एगत्तीसाए जोयणसहस्सेहिं णवहि य सोलसुत्तरेहिं जोयणसएहिं इगुणालीसाए य सट्ठिभाएहिं जोयणस्स सटिभाएहिं जोयणस्स सटिभागं च एगसट्ठिहा छेत्ता सट्टीए चुण्णियाभागेहिं सूरिए चक्खुप्फासं हव्वमागच्छइ, से पविसमाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरत्तंसि बाहिरतच्वं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ।
जया णं भंते! सूरिए बाहिरतच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं एगमेगेणं मुहुत्तेणं केवइयं खेत्तं गच्छइ?
गोयमा! पंच पंच जोयणसहस्साई तिण्णि य चउरुत्तरे जोयणसए इगुणालीसं च सट्ठिभाए जोयणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ, तया णं इहगयस्स मणुयस्स एगाहिएहिं बत्तीसाए जोयणसहस्सेहिं एगूणपण्णाए य सट्ठिभाएहिं जोयणस्स सट्ठिभागं च एगसट्टिहा छत्ता तेवीसाए चुण्णियाभाएहिं सूरिए चक्खुप्फासं हव्वमागच्छइ।
एवं खलु एएणं उवाएणं पविसमाणे सूरिए तयाणंतराओ मंडलाओ तयाणंतरं मंडलं संकममाणे २ अट्ठारस २ सटिभाए जोयणस्स एगमेगे मंडले मुहुत्तगई णिवड्डेमाणे २ साइरेगाई पंचासीइं २ जोयणाई पुरिसच्छायं अभिवढेमाणे २ सव्वन्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, एस णं दोच्चे छम्मासे, एस णं दोच्चस्स छम्मासस्स पजवसाणे, एस णं आइच्चे संवच्छरे, एस णं आइच्चस्स संवच्छरस्स पजवसाणे पण्णत्ते।
भावार्थ - हे भगवन्! जब सूर्य सर्वाभ्यन्तर मंडल को उपसंक्रांत कर गति करता है तो वह एक-एक मुहूर्त में कितने क्षेत्र को पार करता है?
हे गौतम! वह एक-एक मुहूर्त में ५२५१ योजन को पार करता है। उस समय सूर्य यहाँ भरत क्षेत्र में विद्यमान मनुष्यों को ४७२६३० योजन की दूरी से दिखालाई पड़ता है। वहाँ से निकलता हुआ सूर्य नव संवत्सर का प्रथम अयन बनाता हुआ प्रथम अहोरात्र में सर्वाभ्यंतर मंडल से द्वितीय मंडल पर उपसंक्रमण कर गति करता है।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org