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________________ ३६६ जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र से ६० भाग योजनांश की दूरी से दृष्टिगोचर होता है। वहाँ से प्रविष्ट होता हुआ सूर्य दूसरे अहोरात्र में तृतीय बाह्य मंडल पर उपसंक्रमण कर गतिशील होता है। हे भगवन्! जब सूर्य दूसरे बाह्य मंडल पर उपसंक्रमण कर गति करता है तो वह प्रतिमुहूर्त कितना क्षेत्र लांघता है? ___ हे गौतम! वह ५३०४२. योजन प्रतिमुहूर्त गति करता है। तब वहाँ स्थित मनुष्यों को ३२००१४, योजन तथा साठ भागों में विभक्त एक योजन के एक भाग के इकसठ भागों में से तेवीस भाग योजनांश की दूरी से सूर्य दृष्टिगोचर होता है। ____ इस तरह पूर्व वर्णित क्रमानुसार प्रवेश करता हुआ सूर्य पूर्वमंडल से उत्तर मंडल पर संक्रमण करता हुआ प्रतिमंडल पर मुहूर्त गति को योजन कम करता हुआ, एक पुरुष छाया प्रमाण अधिक ८५ योजन की वृद्धि करता हुआ सर्वाभ्यंतर मंडल का उपसंक्रमण कर गति करता है। ये दूसरे छह मास हैं। इस तरह दूसरे छह मास का समापन होता है। यह आदित्यसंवत्सर है। इस प्रकार आदित्य-संवत्सर की सम्पन्नता बतलाई गई है। दिवस-रात्रि प्रमाण , . (१६७) जया णं भंते! सूरिए सव्वन्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं केमहालए दिवसे केमहालिया राई भवइ? गोयमा! तया णं उत्तमकट्टपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ जहण्णिया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ, से णिक्खममाणे सूरिए णवं संवच्छरं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि अब्भंतराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ। जया णं भंते! सूरिए अब्भंतराणंतरं मंडलं, उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं केमहालए दिवसे केमहालिया राई भवइ? गोयमा! तया णं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ दोहिं एगसट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणे निक Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004179
Book TitleJambudwip Pragnapti Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2004
Total Pages498
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jambudwipapragnapti
File Size9 MB
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