________________
छठो वक्खारो - षष्ठ वक्षस्कार
स्पर्श एवं जीवोत्पत्ति
(१५७) जंबुद्दीवस्स णं भंते! दीवस्स पएसा लवणसमुदं पुट्ठा? हंता! पुट्ठा। ते णं भंते! किं जंबुद्दीवे दीवे लवणसमुद्दे?
गोयमा! जंबुद्दीवे णं दीवे णो खलु लवणसमुद्दे, एवं लवणसमुद्दस्सवि पएसा जंबुद्दीवे दीवे पुट्ठा भाणियव्वा। .
जंबुद्दीवे णं भंते! दीवे जीवा उद्दाइत्ता २ लवणसमुद्दे पच्चायंति?
गोयमा! अत्थेगइया पच्चायंति अत्थेगइया णो पच्चायंति, एवं लवणसमुहस्सवि जंबुद्दीवे दीवे णेयव्वमिति।
भावार्थ - हे भगवन्! क्या जम्बूद्वीप के प्रदेश लवण समुद्र का स्पर्श करते हैं? हाँ, गौतम! वे लवण समुद्र का स्पर्श करते हैं।
हे भगवन्! जम्बूद्वीप के जो प्रदेश लवण समुद्र का स्पर्श करते हैं, क्या वे जम्बूद्वीप के ही कहलाते हैं?
हाँ, गौतम! वे प्रदेश जम्बूद्वीप के ही कहे जाते हैं, लवण समुद्र के नहीं कहे जाते। हे भगवन्! क्या जम्बूद्वीप के जीव मरण प्राप्त कर लवण समुद्र में पैदा होते हैं? हे गौतम! कई पैदा होते हैं, कई नहीं होते।
इसी प्रकार यह ज्ञातव्य है, लवण समुद्र के कतिपय जीव मरकर जम्बूद्वीप में उत्पन्न होते हैं, कतिपय नहीं होते।
जम्बूद्वीप के खण्ड आदि
(१५८) खंडा १ जोयण २ वासा ३ पव्वय ४ कूडा ५ य तित्थ ६ सेढीओ ७। . विजय ८ हह ह सलिलाओ १० पिंडए होइ संगहणी॥१॥
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org